Sunday, December 26, 2010

दुराचार के मामले वासना के रावणो को मिली

अधिनियम के तहत स्थापित कल्याण थाना बैतूल में सामुहिक दुराचार की एक घटना एक ही समय और एक समान गवाह तथा तेरह आरोपी के विरूद्ध चार बार अलग अलग एफआईआर कायम की गई। पुलिस थाना अजाक, बैतूल द्वारा अत्याचार कानून के तहत चारों प्रथम सूचना रिर्पोट पर कायम मामलो में विवेचना उपरान्त अभियोजन अधिकारी की अनुमति प्राप्त कर चारों प्रकरण मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी बैतूल के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। विशेष न्यायालय बैतूल में चारों मामलों में विचारण पूर्ण कर अलग अलग फैसला सुनाया गया, जिसमें तेरह आरोपीयों में से तीन को सिद्धदोष ठहरा कर शेष आरोपीगण को दोषमुक्त कर दिया गया। आरोपीगण गिरफ्तारी दिनांक से न्यायालय के फैसले तक कुल एकहजार एकसौपन्द्रह दिन न्यायिक अभिरक्षा में जेल में रहें। लम्बी न्यायिक विचारण प्रक्रिया का सामना करने वाले ज्यादतर आरोपी अनुसूचित वर्ग के थे जो कि पहली बार पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए थें और सभी की उम्र 18 से 21 वर्ष के बीच थी। न्यायालय के फैसले के बाद एक बार फिर से जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। अभियोजन का मामला यह हैं कि पुलिस थाना झल्लार क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम पिपला निवासी नाबालिग अभियोक्त्री अन्य तीन अभियोत्री के साथ दिनांक 20 अक्टूबर 07 की रात गाँव के साहबलाल, पिंटू के साथ ग्राम सेहरा रामलीला देखने जा रही थी, रास्ते में बजरंग मंदिर के पास रात लगभग 1.00बजे इन्हे 8-10 लोग बैठे दिखे। साहबलाल ने टार्च उजाले में देखा तो आरोपी राजेश गाडरी, गोलू रज्जड़, देवीराम और अन्य 8-10 लोग दिखें। इन लोगों ने साहबलाल और पिंटू को घेरकर पकड़ लिया और मारपीट करने लगें। इस बीच आरोपी राजेश गाडरी,गोलूरज्जड़ और देवीराम धोबी ने अन्य सहयोगीयों की मदद से चार अभियोक्त्रीयो को कुछ दूर लेजाकर उसकी इच्छा के विरूद्ध जबरन दुराचार किया और जान से खत्मकर देने की धमकी देकर भाग गया। महिलाओं ने साहबलाल और पिंटू के साथ रात में ही सेहरा गाँव जाकर रामलीला में गाँव वालों को घटना बताई। सभी संजू टेलर केघर रूके और दिन में चारो दुराचार की शिकार महिलाओं ने पुलिस थाना अजाक बैतूल में रिपोर्ट की गई।अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण थाना बैतूल में चारों दुराचार की शिकार महिलाओं ने घटना की जानकरी दी, तो प्रत्येक बालिका महिला की रिर्पोट पर अलग अलग प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखकर अपराध क्रमांक-55/07, 56/07, 57/07, 58/07 अन्तर्गत धारा 341,376,506,323/34 भा00वि0 तथा धारा 3(1)(12)(2)(5),अत्याचार निवारण अधिनियम का अपराध कुल 13 आरोपीयों के विरूद्ध कायम कर लिया गया। पुलिस थाना अजाक द्वारा नामजद आरोपी राजेश गाडरी, देवीराम धोबी, कमलेश गोसाई, पंजू कोरकू, सुरेश गोसाई, बलदेव कोरकू, संजय कोरकू, श्यामलाल कोरकू, कल्लू गोंड, सका रज्जड़, सुखलाल गोंड, गणेश कोरकू को गिरफ्तार कर दिनांक 21 अक्टूबर 07 को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।न्यायालय विशेष न्यायाधीश, बैतूल के समक्ष सभी आरोपीगण ने पुलिस द्वारा आरोपित अपराध से इन्कार करते हुए विचारण की माँग की गई। अभियोजन के द्वारा आरोप सिद्ध करने के लिए अभियोजन साक्षी प्रस्तुत किए गए। न्यायालय के समक्ष चारो अभियोक्त्रीयों ने अभियोजन की कहानी का समर्थन करते हुए राजेश गाडरी, देवीराम धोबी और गोलू रज्जड़ के विरूद्ध कथन करते हुए शेष आरोपीगण को पहचानने से भी इन्कार करते हुए बताया कि आरोपीगण मुॅह पर कपड़ा बाधे हुए थें। अन्य अभियोजन साक्षीगण द्वारा अभियोजन कथा का समर्थन किया गया। इस मामले में वैज्ञानिक परीक्षण से अभियोजन की कथा को समर्थन नहीं करते थें। न्यायालय के समक्ष बचाव पक्ष की ओर से यह तर्क दिया गया कि अभियोक्त्री के वैजाईनल स्मीयिर और उसके अंडर वयिर पर मौजूद पुरूष डी0एन00 प्रोफाईल का मिलान आरोपीगण राजेश, गोलू और देवीराम के डी0एन00 प्रोफाईल से अभियोजन द्वारा प्रस्तुत डी0एन00 परीक्षण रिर्पोट अनुसार मेल नही करते हैं।न्यायालय विशेष न्यायधीश, 0के0 जोशी द्वारा पारित निर्णय में इस बहुचर्चित प्रकरण में तीन आरोपी राजेश, गोलू, देवीराम को अपराध धारा 147,341,323 सहपठित धारा 149,376(2)(जी),506(भाग दो) भा00वि0 में अपराध संदेह से परे प्रमाणित पाकर सिद्धदोष ठहराया गया और दस वर्ष के सश्रम कारावास और 2000 रूपए अर्थदण्ड, अर्थदण्ड अदा न करने पर छ: मास के अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। शेष आरोपीगण के विरूद्ध अपराध सिद्ध नही पाए जाने से दोषमुक्त कर दिया गया। अत्याचार निवारण कानून के तहत किसी भी आरोपी के विरूद्ध अभियोजन आरोप सिद्ध नहीं कर सका। अभियोजन की प्रक्रिया का एकहजार एकसौ पन्द्रह दिनों तक न्यायालय में सामना करने वाले अनुसूचित वर्ग के प्रथम आरोपीयों के भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार में शीघ्र विचारण का अधिकार और जमानत का अधिकार शामिल हैं। दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 309 शीघ्र विचारण के अधिकार से जुड़ी हुई। न्यायालय में विचारण की समय सीमा तय नही होने से शीघ्र विचारण का अधिकार बेमानी साबित होता हैं। कानून की आड़ में न्यायिक प्रक्रिया के नाम पर संवैधानिक अधिकारों का बुरी तरह से हनन तब तक जारी रहेगा जब तक भारत सरकार धारा 309 में संशोधन करके न्यायिक विचारण की समय सीमा नियत नहीं करती? किसी निर्दोष व्यक्ति को अभियोजन की कार्यवाही का समाना करने के लिए बाध्य करना कानून आड़ में अत्याचार हैं और न्यायिक प्रक्रिया के नाम पर सबसे बड़ा अन्याय हैं। न्याय निर्णय में निर्दोष ठहराए गए कुल दस आरोपियों को एकहजार एकसौ पन्द्रह दिनों तक विचारण की कार्यवाही का समाना करने के बाद दोषमुक्ति के अतिरिक्त कौन सा उपचार मिल गया?
इस पूरे मामले की कहानी कुछ इस प्रकार है
जब वासना के रावणो ने दिखाई अपनी नीचता
उस रात सेहरा में नवजीवन दुर्गा मण्डल के तत्वाधान में रामलीला में का आयोजन होने वाला था




. आज लंकेश दशानन रावण के बलशाली पुत्र इन्द्रजीत (मेघनाथ)के हाथो भगवान श्री राम के अनुज लक्ष्मण को शक्ति लगने वाली थी. ग्रामिण इलाको में जहाँ मनोरजंन के कोई साधन नहीं होते वहाँ पर अकसर ग्रामिण लोग आसपास में विशेषकर नवरात्र के समय होने वाली रामलीला देखने को उमड़ पड़ते है . बैतूल जिले में सबसे पुरानी रामलीला मण्डली में सेहरा का भी नाम आता है . वैसे तो रोंढ़ा की रामलीला का कोई जवाब नहीं था लेकिन टी.वी. की रामानंद सागर की रामलीला ने इन रामलीलाओं का मंचन को ही निगल लिया. आज रात में सेहरा में आसपास का पूरा गांव का गांव उमड़ वाला था.रात भर रामलीला देखने के बाद ग्रामिण लोग दुसरे दिन फिर अपने - अपने काम धंधे से लग जाते है.राम लीलायें दुर्गा जी की स्थापना से लेकर उसके उठने तक पूरे दिन नौ राते चलती है . इसलिए कोई भी ग्रामवासी एक भी रात का नागा किये बिना पूरी रामलीला देखने एवं उसका आनंद लेने दौड़े चले आते है . पिपला गांव की सुशीला भी बटाई पर पास के ही गांव से जब शाम को सोयाबीन काट कर अपने घर वापस लौटी तो उसने उसकी माँ से कहा कि '' वह भी अपनी सहेलियो के साथ आज रात को सेहरा रामलीला देखने जायेगी......! '' माँ ने भी अपनी प्यारी लाड़ली बेटी की िजद के आगे घुटने टेक दिये . अकसर गांव के अधिकांश गरीब आदिवासी परिवार में बरसात के बाद सोयाबीन की कटाई में जूट जाते है . कुछ लोग ठेके पर सोसाबीन की कटाई का काम लेकर गांव के लोगो को चालिस से पचास रूपैया रोज के हिसाब से काम पर ले जाते है. इस मंहगाई के दौर में हाथ मजदुरी करके पूरे परिवार का पेट पाल पाना बड़ी टेढ़ी बात है . छोटी सी बेटी की ममतामयी प्रार्थना को नकारना दसिया बाई के बस की बात नही थी इसलिए दसिया बाई ने सुशीला को खाना वगैर खिलाकर उसे गांव से छै किलोमीटर दूर सेहरा गांव में रामलीला देखने जाने के लिये घर से बिदा कर दिया . चारो सहेलियाँ सुबह घर के कपड़े धोने पनघट पर गई थी तभी उनकी सलाह हो गई थी कि वे आज रात को रामलीला देखने जाएगी . पहली बार घर से रामलीला देखने जाने का मन बना चुकी सहेलिया अपने - अपने घर से अपने - अपने माता - पिता की अनुमति मिलने के बाद ही घर से निकली . सुशीला की माँ दसिया बाई को पता था कि उसके गांव पिपला से कई लोग जिसमें महिला - पुरूष - छोटे - छोटे बच्चे यहाँ तक कि बुढ़े - बुर्जुग लोग तक भी शामिल रहते है वे सभी लोग आगे - पीछे झुण्ड के झुण्ड बना कर रात के ग्यारह - बारह बजे के बाद घर से निकल पड़ते है . सेहरा की रामलीला भी रात को बारह बजे से उसके साथ पिपला से सेहरा की दूरी बमुश्कील छै - सात किलोमीटर होने की वजह से गांव के लोगो को रात में भी आने - जाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है. प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत ड्रामर की बनी सड़क पर आना - जाना तो और भी आसान रहता है. 15 साल की सुशीला युवने अपने घर से निकल कर मेथा के घर से उसे साथ लेकर सरिता के घर पहँुची जहाँ पर उसे लता भी मिल गई . चारो लड़कियाँ खाना वगैर से निपट कर वे अपने ही पिपला गांव के दो अपने स्वजाति युवक साहबलाल और पिन्टु के साथ पिपला से रात के ग्यारह - बारह बजे के बीच सेहरा की ओर निकल पड़ी . हाथो में टार्ज लेकर रामलीला देखने निकले सभी छै लोग जब बजरंग मंदिर के पास रपटा से गुजरने लगे तो उन्हे पास की झाडिय़ो में कुछ लहचल होती दिखाई दी तो जैसे ही उस ओर टार्ज का लाईट मारा तो उन्हे झाडिय़ो में कुछ लोगो का झुण्ड दिखाई दिया जिसने अपने ऊपर टार्ज का लाइट पड़ते ही गालिया देनी शुरू कर दी . इस बीच झाडिय़ो से कुछ युवको का झुण्ड अचानक उस टार्ज मारने युवक के ऊपर झुम पड़ा और उसे मारने पीटने लगा तो उन्हे बीच - बचाव करने पहँुची चारो नाबालिग लड़कियो ने जब उन्हे रोकना चाहा तो राजेश पाल नामक युवक ने आगे बढ़ कर मेथा का हाथ पकड़ा और उसे घसीट कर अंधेरे में ले गया . इस बीच देवीराम ने भी राजेश की देखा - देखी सुशीला का हाथ पकड़ा और उसे भी अंधेरे में घसीट कर ले गया. दोनो लड़कियो ने अपने बचाव के लिए काफी चीखी चिल्लाई लेकिन रात के सुनसान अंधेरे में उनकी चीख दब कर रह गई. उन्हे बचाने वाले साहब लाल और पिन्टु को कुछ युवको ने रोक रखा था जिसके चलते वे उन्हे बचाने के लिए जा नहीं सकी. जब राजेश और देवीराम वापस नही लौटे तो गोलू भी कहाँ पीछे रहने वाला था उसने भी सरिता को पकड़ कर उस ज$गह ले गया जहाँ पर वह भी अपनी वासन के रावण की प्यास को तृप्त कर सके . राजेश जैसे ही मेथा के साथ मुँह काला करके लौटा तो उसकी न$जर 14 साल की उस कमसीन लड़की पर पड़ी जो कि सारे नज़ारे को देख कर एक कोने में दुबकी पड़ी थी . अबकी बार राजेश ने लता को अंधेरे में घसीट कर ले गया और उसके साथ भी मँुह काला कर डाला. इस बीच मोटर साइकिल की आवाज को सुन कर सभी लड़के भाग खड़े हुये . लड़को के भाग जाने के बाद चारो युवतियाँ जैसे - तैसे लूटी - पिटी सड़क पर लौटी तब तक उन युवको के झुण्ड ने साहबलाल और पिन्टू को डण्डे से इतना पीटा की वह भी अधमरा होकर वहीं गिर पड़ा . अब रात में वापस इस हालत में वापस पिपला लौट पाना संभव नही था क्योकि उन्हे डर था कि कहीं ए लोग उन्हे जान से न मार डाले इसलिये वे सभी जो कि अपने गांव पिपला से पाँच - छै किलो मीटर दूर आगे आ चुकी थी. अब मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर सेहरा गांव था जहाँ उन्हे रामलीला देखने जाना था. जैसे - तैसे सभी लोग दर्द से कहारते सेहरा गांव में अपने परिचित संजू टेलर के घर पहँुचे जहाँ पर किसी तरह आधी रात काटने के बाद इन सबने अपने गांव को खबर भिजवाई तो पूरा पिपला गांव दौड़ पड़ा. रात की बात बताते - बताते चारो नाबालिग लड़कियो के हाल के बेहाल होता देख सुशीला की माँ दसिया बाई पत्नि रंगलाल जाति गोंड उन्हे अपने साथ बैतूल अजाक थाना बैतूल लेकर पहँुची. नवरात्री का महिना होने की व$जह से पुलिस विभाग भी माता रानी के नौ दिन भक्तिमय हो जाता है. आज घर से पूजा पाठ कर निकले प्रधान आरक्षक क्रंमाक 520 सत्यप्रकाश वाजपेयी जब अजाक थाना बैतूल पहँुचे तो उन्हे लगा कि आज का दिन उनके लिए अच्छा साबित होगा. पूजा - पाठ करने के बाद वाजपेयी ने अपनी सीट संभाली और वे कुछ लिखने लगे इस बीच उन्हे थाने में कुछ लोगो का झुण्ड आता दिखाई दिया. चार युवतियो के साथ दो लड़के तथा एक महिला को करीब आने पर वाजपेयी ने जैसे ही उनके आने का कारण पुछा तो वाजपेयी जी सुन कर दंग रह गये. वे चारो युवतियो के साथ आई उनकी माँ और उन लड़कों को लेकर सीधे अपने आला अफसर अजाक उप पुलिस निरीक्षक श्री व्ही . आर . महाजन के पास पहँुचे . अजाक थाना उप पुलिस अधिक्षक श्री महाजन ने बिना देर किये चारो लड़कियो एवं उसकी माँ दसिया बाई को पुलिस अधिक्षक के समक्ष पेश किया. पुलिस अधिक्षक के निर्देश पर अजाक थाना में फरियादी कु. सुशीला आत्मज रंगलाल युवने निवासी ग्राम पिपला उम्र 14 वर्ष की रिर्पोट पर अपराध क्रंमाक 55 धारा 341 , 376 , 386 , 323 , 34 अनुसूचित जाति - जनजाति प्रताडऩा अधिनियम 3 -1- 12 एवं 3 - 2 - 5 के तहत आरोपी देवीराम आत्मज मोतीराम तायवड़े जाति धोबी उम्र 21 वर्ष , कुमारी सरिता आत्मज जिन्दु उम्र 13 वर्ष निवासी पिपला की रिर्पोट पर अपराध क्रंमाक 56 धारा 341 , 376 , 386 , 323 , 34 अनुसूचित जाति - जन जाति प्रताडऩा अधिनियम 3 -1- 12 एवं 3 - 2 - 5 के तहत आरोपी गोलू आत्मज भीलू जाति रजझड़ उम्र 19 वर्ष , कुमारी लता आत्मज रामचरण गोंड उम्र 14 साल निवासी पिपला एवं कुमारी मेथा आत्मज मनाजी कोरकू निवासी पिपला उम्र 14 साल की रिर्पोट पर अपराध क्रंमाक 57 एवं 58 धारा 341 , 376 , 386 , 323 , 34 अनुसूचित जाति - जन जाति प्रताडऩा अधिनियम 3 -1- 12 एवं 3 - 2 - 5 के तहत आरोपी राजेश पाल जाति धोबी निवासी सेहरा के खिलाफ दर्ज किया . इस कार्य में इन आरोपियो को सहयोग देने वालो बलदेव आत्मज लाला सोलंकी जाति कोरकू उम्र 18 वर्ष निवासी सेहरा , सुरेश आत्मज नागा भारती जाति गोसाई उम्र 25 वर्ष , निवासी सेहरा , कमलेश आत्मज लालगिरी जाति गोस्वामी उम्र 25 वर्ष निवासी सेहरा , पंजू आत्मज फूला जी सोलंकी उम्र 21 वर्ष निवासी सेहरा , संजय आत्मज सुखराम चौहान जाति कोरकू उम्र 19 वर्ष निवासी सेहरा , सुरेश आत्मज गुल्लु जाति रजझड़ उम्र 20 वर्ष निवासी सेहरा , कल्लू आत्मज मुखचंद जाति गोंड उम्र 20 वर्ष निवासी सेहरा , श्याम लाल आत्मज रामसू जाति कोरकू उम्र 17 वर्ष निवासी गाडऱा , थाना झल्लार , सुखलाल आत्मज रम्मू उम्र 17 वर्ष निवासी माडवा , तथा गाडरा निवासी गणेश को भी आरोपी बनाया है. प्रकरण का मुख्य आरोपी राजेश पाल जाति गाडरी निवासी सेहरा के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया. उप पुलिस अधिक्षक श्री व्ही आर महाजन ने इस घटना का मामला दर्ज होते ही एक दल जिसमें प्रधान आरक्षक क्रंमाक 458 सुरेश शुक्ला आरक्षक क्रंमाक 82 भाऊराव , आरक्षक क्रंमाक 495 गोविंद लिखितकर , आरक्षक क्रंमाक 253 गणेश पंवार , आरक्षक क्रंमाक 345 इंदल सिंह को लेकर सीधे नामजद आरोपियो की तलाश में सेहरा की ओर निकल पड़े . उनके साथ बैतूल पुलिस का विशेष गुण्डा स्काट दल भी शामिल था . अजाक थाना में पदस्थ सब इंस्पेक्टर आर. के बिसारे ने सारे मामले की विवेचना का एक चरण अपने हाथो में लिया और उन्होने ने इन चारो नाबालिग लड़कियो का मेडिकल परिक्षण की प्रक्रिया शुरू की . अजाक थाना बैतूल में पदस्थ महिला प्रधान आरक्षक क्रंमाक 257 श्रीमति सुमन मिश्रा महिला आरक्षक क्रंमाक 162 उर्मीला महाले बैतूल एस.डी.एम. के पास इन चारो लड़कियो को लेकर पहँुची जहाँ पर उनसे अनुमति मिलने के बाद वे पीडि़त चारो लड़कियो का मेडिकल परीक्षण के लिए उन्हे बैतूल जिला मुख्य चिकित्सालय की महिला चिकित्सक श्रीमति निशा बड़वे के पास गई . जहाँ पर श्रीमति निशा बड़वे ने उन चारो नाबालिग लड़कियो का मेडिकल परीक्षण किया . जिसमें इस बात की पुष्टिï की गई थी कि चारो लड़कियो का शील भंग हो चुका है . इधर लगातार दो दिन तक उठा - पटक करने के बाद अजाक पुलिस ने इस प्रकरण के सभी आरोपियो को ग्राम सेहरा के निवासियो के सहयोग से अपनी हिरासत में लेकर उन्हे अजाक न्यायालय में पेश किया जहाँ अजाक न्यायालय ने उन्हे जिला जेल बैतूल भिजवा दिया. इस घटना की जानकारी मिलते ही अजाक पुलिस अधिक्षक श्री एम.एल. सोलंकी बैतूल पहँुच कर उन्होने सारे हालातो की जानकारी ली. घटना की जानकारी जिला प्रशासन को मिलने पर जिला प्रशासन की ओर से पीडि़त लड़कियो को दो - दो हजार रूपये की आर्थिक सहायता राशी स्वीकृत कर उन्हे भुगतान प्रदान किया गया.बैतूल आठनेर मार्ग पर सुरगांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर सेहरा गांव जाने के लिए सड़क बनी हुई है. बैतूल से सेहरा की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है. आज से करीब तीन साल पहले सेहरा गांव को कोई नहीं जानता था 20 अक्टुबर 2004 को करवा चौथ के दिन गांव के तथाकथित भविष्य वक्ता कुंजीलाल ने इस गांव को अंतराष्टरीय ख्याति दिलवाई. अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी कर इस 21 वी सदी के नास्त्रेदमस ने इस गांव को देश - विदेश की मीडिया के माध्यम से वो ख्याति दिलवाई कि बच्चा -बच्चा इस गांव को लेकर उत्सुक हो जाता है. आज तक जैसे देश के ख्याति प्राप्त न्यूज चैनल पर दिन भर छाये रहे इस गांव में ठीक तीन साल बाद 20 अक्टुबर को घटित एक शर्मसार घटना ने गांव की प्रतिष्ठïा पर कालिख पोत दी. आज के तथाकथित भविष्य वक्ता नास्त्रेदमस कुंजीलाल के गांव में होने वाली रामलीला को देखने आने वाली चार नाबालिग लड़कियो के साथ गांव के ही युवको द्घारा की गई शर्मनाक ज्यादतियो के बाद तो इस गांव से लोगो को जैसे घृणा हो गई . सेहरा से लगा पिपला गांव है. प्रधानमंत्री सड़क से जुड़ा पिपला गांव की आबादी कुछ ज्यादा नहीं है. आदिवासी समाज बाहुल्य इस गांव में सड़क के किनारे ही प्राथमिक एवं माध्यमिक पाठशाला है. पिछले वर्ष इसी गांव की कक्षा आठवी में पढऩे वाली कुमारी सरिता अपने परिवार में तीसरे नम्बर की है. सबसे बड़ी उसकी बहन प्रमिला की शादी गोहंदा गांव में हो चुकी है . प्रमिला से उससे छोटा उसका भाई सुनील दसवी कक्षा तक पढऩे के बाद आगे पढ़ नही सका वह गांव में लोगो के खेतो में हाथ मजदुरी का काम करता है . सुनील से छोटी सरिता कक्षा आठवी पास होने के बाद गांव से 6 किलोमीटर की दूर पर बसे सेहरा गांव में कक्षा 9 वी पढऩे रोज गांव से आती - जाती है . सरिता से छोटी मीना एवं उससे छोटी शिवानी भी कक्षा 5 वी में पढ़ती है . शिवानी से छोटी रीना कक्षा 2 री में तथा उससे छोटा राहुल गांव की ही आगनवाड़ी में पढऩे जाता है . पीडि़त लड़की सरिता के परिवार में उसकी माँ शीलो बाई के अलावा उसका पिता जिन्दू भी रहता है. टूटे - फूटे मिटटïï्ी के मकान में सरिता के मकान से लगे मकान में उसकी माँ शीलू बाई की ककिया सास जग्गो बाई रहती है. हाथ मजदुरी कर अपने परिवार को पालने वाली जग्गो बाई का पति रामचरण की मौत काफी साल पहले ही हो गई थी. पीडि़त लड़की लता के परिवार में उसकी सबसे बड़ी बहन हेमू के बाद उसका नम्बर आता है. लता से छोटी सोमती , सोमती से छोटा संजू है. तीन बहन एक भाई के परिवार में रहने वाली लता बचपन में ही अपने पिता रामचरण की मौत के कारण स्कूल नहीं जा सकी जबकि उसके घर के सामने ही स्कूल है. इधर एक अन्य पीडि़त लड़की कुमारी सुशीला के परिवार में उसका सबसे बड़ा भाई मुन्ना शादी के बाद से ही गांव में ही अलग मकान बना कर रहता है. मुन्ना से छोटा सम्पत तथा उससे छोटी लता है . लता से छोटी सुशीला है. सुशीला भी स्कूल नहीं जा सकी. सुशीला की माँ दसिया बाई तथा पिता रंगलाल हाथ मजदुरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करे चला आ रहा है. सुशीला भी अपने परिवार के सदस्यो के साथ जहाँ - तहाँ काम करने जाती रहती है. पीडि़त लड़की कुमारी मेथा के परिवार में उसका सबसे बड़ा भाई सुकलु जिसने शादी करने के बाद गाडवा में ही मकान बना कर वह वही पर रहने लगा. सुकलु से छोटा जुगराम की शादी अमौरी में हो चुकी है लेकिन वह पिपला गांव में ही रहता है. जुगराम से छोटा मुन्ना की शादी पिपला गांव में ही हो चुकी है. मुन्ना से छोटी उसकी बहन सुनीता की भी शादी गाड़वा में हो चुकी है. सुनीता से छोटी अनिता की भी शादी गाडवा में होने के बाद उससे छोटी बहन भूरो तथा सबसे छोटी मेथा है. तीन भाई - चार बहनो के परिवार में मेथा की माँ और पिता भी रहते है. मेथा भी स्कूल नही जा सकी जबकि उसका भी मकान गांव में ही स्कूल के पास ही बना है.सेहरा गांव के युवको द्घारा किये गये इस घृणित कार्य की जितनी निंदा की जाये कम होगी. पुलिस ने चार नाबालिग युवतियो के साथ बलात्कार के मामले में तीन आरोपियो को पकड़ा है लेकिन 10 अन्य सहयोगियो को पकडऩे की बात कुछ हजम नही हो रही है. चार लड़कियो के साथ अगर सभी 13 युवक सामुहिक दुष्कृत करते तो एक भी लड़की बच नही पाती लेकिन केवल तीन ही युवको के द्घारा किये गये बलात्कार के मामले में गांव के दस लोगो को जबरन फंसाये जाने की बाते भी सुनाई पडऩे लगी है . गांव के इस बलात्कार कांड में फंसे गरीब - आदिवासी परिवार के लोगो का कहना है कि उन्हे जबरन बलि का बकरा बनाने के पीछे गांव के कुछ पटेलो का नाम सामने आ रहा है जिनके खेतो पर साल भर काम करने या उनके खेतो में काम करने से उनके द्घारा मना किये जाने का गांव के कुछ सम्पन्न किसानो ने उन गरीब - आदिवासी परिवार से बदला लिया. पीडि़त लड़किया भी कहती है कि वे सिर्फ राजेश का नाम सुनने पर उसे जानती है लेकिन देवीराम को अच्छी तरह पहचाने की बात करने वाली सुशीला भी कहती है कि वह उसे अच्छी तरह से जानती है. इस प्रकरण में सबसे दिलचस्प बात यह सामने आई कि देवीराम की गांव में गुण्डागर्दी से गांव के अधिकांश लोग डरे - सहमें थे उन लोगो को यह मामला देवीराम तथा उसकी मित्र मण्डली को सबक सिखाने का अच्छा - खासा अवसर लेकर आया . देवीराम के जितने संगी साथी थे उन्हे भी कुछ सम्पन्न परिवारो एवं देवीराम से पीडि़त लोगो ने इस प्रकरण में जानबुझ कर उलझाने का प्रयास किया. इस प्रकरण में गांव के ही किसी गिरधारी तथा संजू टेलर पर ना- ना प्रकार के गंभीर आरोप लगाने वाले इस प्रकरण में आरोपी बने युवको के परिवारजनो का कहना है कि उन्हे बेव$जह उलझाया गया है. मध्यप्रदेश में सबसे अधिक बलात्कार के मामले दर्ज होने वाले प्रदेश का अव्वल नम्बर का बलात्कारी बैतूल जिले के अकेले अजाक थाने में वर्ष 2004 में मात्र 26 बलात्कार के मामले गैर आदिवासियो के खिलाफ दर्ज हुये है. वर्ष 2005 में 26 की संख्या में बढोत्तरी हुई और यह आकड़ा 39 पर जा पहँुचा. 2006 में संख्या में कमी आई और 39 का आकड़ा 36 पर अटक गया. वर्ष 2007 का अजाक थाने में कोई लेखा - जोखा नही है. इसी थाने में वर्ष 2004 में अपहरण के मात्र 3 मामले गैर आदिवासियो के खिलाफ दर्ज हुये है. वर्ष 2005 में यह आकड़ा शुन्य हो गया . 2006 में मात्र 4 का ही अपहरण होना दर्ज है . वर्ष 2007 में कितने अपहरण के मामले दर्ज हुये है इस बात की जानकारी अजाक थाने में संग्रहित नही की गई है. इसी तरह छेडख़ानी के वर्ष 2004 में मात्र 20 मामले गैर आदिवासियो के खिलाफ दर्ज हुये है. वर्ष 2005 में 28 तथा 2006 में 28 मामले दर्ज हुये है . वर्ष 2007 का अजाक थाने में कोई लेखा - जोखा नही है. बैतूल जिले में अभी कुछ दिनो पूर्व पारधियो द्घारा एक कुन्बी समाज की महिला की हत्या एवं लूट के साथ उसके कथित दुष्कृत का मामला जो कि पोस्टमार्टम रिर्पोट में नही आया को तूल देकर मामले को राजनीतिक रूप देने वाले राजनीतिज्ञो की गैरमौजदूगी क बीच गोण्डवाना मुक्ति सेना के प्रदेश महामंत्री ने इस मामले को लेकर अपने साथियो क साथ अजाक थाना पहँुच कर पीडि़त अपने स्वजाति परिवारो के साथ हुये दुष्कृत क मामले में अगर उचित कार्यवाही न होने पर मामले को लेकर आदिवासी समाज की ओर से जबरदस्त धरना - प्रदर्शन की चेतावनी देकर पीडि़त परिजनो को दिलासा दी. इधर राजनीतिक क्षेत्रो में बैतूल जिले में बढ़ते बलात्कार के मामलो के बाद भी राजनीतिक पहुँच से जमे पुलिस विभाग के आला अफसरो की प्रदेश के मुख्यमंत्री द्घारा परेड़ न लिये जाने से यह अटकले लगाई जा रही है कि मध्यप्रदेश का बलात्कार में प्रदेश में अव्वल नम्बर का बैतूल जिला जिसमें हर माह 16 महिलाओं की अस्मत लूट जा रही हैै. उस जिले की कानून व्यवस्था को लेकर राष्ट्रीय घुमन्तु - अर्ध घुमन्तु जन जाति के अध्यक्ष से लेकर भारतीय प्रेस कौँसिल आफ इंडिया यहाँ तक की मानव अधिकार संगठनो एवं हाईकोर्ट जबलपुर तक ने ऐसी टिप्पणी की लेकिन शिवराज सिंह सुराज मे लूट रही महिलाओं की इज्जते के मामले में बैतूल जिले के आला अफसरो को मिल रह राजनीतिक संरक्षण के कारण रामलीला का रावण वासन का रूप लेकर उन चार अनपढ़ नाबालिग लड़कियो की अस्मत लूट गया . बैतूल जिले में बढ़ते बलात्कार के मामले मे बीते विधानसभा के सत्र मे स्वीकार किया कि प्रदेश में बलात्कार बैतूल जिले में सबसे अधिक है लेकिन पुलिस की गिरती छबि एवं कानून व्यवस्था पर कोई भी लगाम लगाने की स्थिति में हैै. जिला प्रशासन में चार अनपढ आदिवासी समाज की नाबालिग लड़कियो की अस्मत की कीमत दो हजार रूपये आंकते हुये उन्हे दो - दो हजार रूपये की आर्थिक सहायता दी है. बरहाल यह देखना बाकी है कि पारधियो को लेकर एक मंच पर एक हये राजनीतिक दल इस मामले पर अपना क्या रूप जनता को दिखाते हैै. इस शर्मसार हादसे के पीछे की सच्चाई की पड़ताल करने के बाद कुछ नई रोचक जानकारी भी सामने आई . बताया जाता है कि बैतूल जिले के कुछ सम्पन्न किसानो द्घारा साल भर के लिए आदिवासी मजदूरो को ठेके पर काम पर रख लिया जाता है. जबसे प्रधानमंत्री रोजगार ग्यारंटी योजना शुरू हुई है तबसे काम के दाम बढऩे तथा हरदा - होशंगाबाद जिले में सोयाबीन की कटाई , चैत माह में गेहँू की कटाई पर जाने वाले आदिवासी परिवारो को ज्यादा रूपैया मिलने की व$जह से वे गांव के सम्पन्न किसानो के यहाँ पर साल भर के लिए बंधक मजदूर की तरह काम करने के लिए ठेके - बटाई पर न रहने की वज़ह से उनकी खेतीबाड़ी की अर्थ व्यवस्था चौपट होने लगी जिससे क्षुब्ध किसान आदिवासी गरीब तबके से बदला लेने या उन्हे किसी भी मामले में उलझाये रखने के लिए तन - तन - धन से मौके की तलाश में रहते है . बलदेव के भाई के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है. सेहरा का गरीब आदिवासी परिवार का मुखिया अपने छोटे भाई बलदेव को बारह क्लास तक पढ़ाने के लिए सेहरा गांव के ही एक सम्पन्न किसान परिवार एवं किराड़ समाज के एक अधिकारी जो कि भारत सरकार के दुरदर्शन केन्द्र मुलताई मेंं उप यंत्री के यहाँ पर काम करता है. इस व्यक्ति का आरोप है कि उसने गांव के ही किसी पटेल के घर पर इस साल ठेका पर साल भर काम करने के लिए मना कर दिया था तबसे वह उसे डराता - धमकाता था कि पटटïï्े का बंदोबस्त करके रखना वरणा जेल जाओगें .....!. बेचारा गरीब आदिवासी इस बात का अर्थ समझ नही पाया. आज उसका कक्षा बारहवी में पढऩे वाला छोटा भाई जेल में है. उसकी सारी उम्मीद पर पानी फिर जाने के बाद से दुखी इस व्यक्ति की मनोदशा कहीं न कहीं इस बात का संकेत देती है कि बलात्कार करने वाले मात्र तीन ही लोग थे तब पुलिस ने उन 6 आदिवासियो को सहयोगी बना कर कैसे जेल भिजवा दिया जबकि पीडि़त लड़किया स्वंय कहती है कि उन्हे नही मालूम कि उस रात बलदेव था भी या नही ...? बलदेव को नाम से क्या शक्ल से भी चारो लड़किया और दो लड़के न तो जानते है और न उन्हे पहचानते है ऐसे में कहीं न कहीं गांव के दर्जी संजू की मास्टरी एवं गांव के सम्पन्न किसानो की कारस्तानी इस बलात्कार कांड में निर्दोषो को जेल के सखीचो तक खीच लाई . अजाक के उप पुलिस अधिक्षक से लेकर उस विभाग में पदस्थ आरक्षक तक इस मामले में तेरह लोगो की कथित भागेदारी को लेकर आशंकित है लेकिन वे भी कहते है कि पुलिस के सामने जो नाम आये पुलिस ने उन्ही के खिलाफ मामले दर्ज किये. इति,संलग्र छायाचित्र फाइल पिपला के नाम से प्रस्तुति रामकिशोर पंवार











सेहरा का बहुचर्चित सामुहिक  सजा दुराचार के मामले वासना के रावणो को मिली
सचित्र सत्यकथा रामकिशोर पंवार
अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण

40 साल तक राजपाट करने के बाद भी एक भवन नहीं मात्र 4 साल में बना भाजपा का भवन

40
रामकिशोर पंवार
देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाली भारतीय राष्टरीय कांग्रेस जो आजादी के बाद कई गुटो और नेताओं के नाम पर बनी और मिटी। मध्यप्रदेश के
साल तक राजपाट करने के बाद भी एक भवन नहीं मात्र 4 साल में बना भाजपा का भवन 1956 में गठन के बाद आज तक 52 वर्षो में कांग्रेस अपना 40 साल तक राजपाट करने के बाद भी एक भवन नहीं बना सका वहीं दुसरी ओर मात्र 12 वर्ष तक जनता और भारतीय जनता पार्टी के रूप में कार्य करने वाली पार्टी ने हिन्दुस्तान के किसी भी जिला मुख्यालय पर भारतीय जनता पार्टी ने जिला मुख्यालय पर ऐसा विशाल आसमान को छुने वाला भाजपा भवन नहीं बनाया होगा जो इस समय बैतूल में है। अब बात करे पार्टी कार्यालयो की तो ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस के पास कार्यालय के जमीन नहीं है। कांग्रेस के पास बैतूल जिला मुख्यालय पर दो प्लाट है जिनकी कीमत करोड़ो में आकी जा सकती है। जिला मुख्यालय के दो कोने गंज और कोठी बाजार में कांग्रेस के पास जमीन है वहां पर भवन भी है लेकिन वह किसी राजा के खण्डहर किले जैसे प्रतित होते है। जिला मुख्यालय के अति व्यस्तम व्यापारिक क्षेत्र गंज में शनि मंदिर के पास जवाहर वार्ड में नजूल शीट नम्बर 27 के प्लाट न. 11 / 2 में 3130 वर्ग फूट का की भूमि पर एक मकान बना हुआ है। सरकारी दस्तावेजो में इस मकान का स्वामीत्व जिला कांग्रेस कमेटी का होना बताया है। जब उक्त कांग्रेस कार्यालय का भूराजस्व 31 रूपये 25 पैसे था जो कि 1995 से इसकी लीज का रिनीवल होना बाकी है। 13 वर्ष बीत जाने के बाद भी कांग्रेस कमेटी के भवन की भूमि की लीज रिनीवल नहीं हो सकी। कांग्रेस अपने 42 साल के शासन काल में भूमि की रिनीवल तो दूर खण्डहर हो चुके कार्यालयो को तक नहीं सुधार सकी। सबसे शर्मसार बात तो यह है कि गंज स्थित कांग्रेस भवन पर कांग्रेस का कब्जा तक नहीं है जबकि सरकारी दस्तावेजो में उक्त भूस्वामी का नाम जिला कांग्रेस कार्यालय आज भी अंकित है। इसी तरह कोठी बाजार क्षेत्र में कांग्रेस के पास नजूल शीट न. 12 के प्लाट नम्बर 9/2 में 11680 वर्गफुट भूमि कांग्रेस के नाम पर आवंटित की जा चुकी है। इस भूमि का भूराजस्व 12 रूपये आंका गया था। जिला कांग्रेस कमेटी के दो प्लाटो को रहवासी क्षेत्र से व्यवसायिक क्षेत्र में परिवर्तत नहीं किया जाना भी संदेह के परे है। आज दोनो भूमि की कुल कीमत साढ़े चार करोड़ से कम नहीं होगी अगर वह व्यवसायिक क्षेत्र में परिवर्तित हो जाती है। इधर भाजपा वर्ष 2003 में सत्ता में आने के बाद उसने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में बैतूल गंज में रेल्वे गेट के पास रेल्वे से लगी रेल प्रशासन द्घारा अधिग्रहित भूमि का वह हिस्सा अपने नाम पर करवा लिया जो साधारण तौर पर किसी को बिना रेल्वे की सहमति के नहीं मिलता। नजूल शीट न. 32 के प्लाट 3/2 की 9500 वर्गफुट भूमि 4 अगस्त 2003 में अपने नाम करवा ली और नवम्बर 2003 में कांग्रेस की सत्ता को हटा कर अपने नवम्बर 2003 से अब तक के कार्यकाल में लगभग 80 लाख की लागत से बने इस भवन के निमार्ण को लेकर पूरे जिले भर के अधिकारियो से लेकर आम भाजपा कार्यकत्र्ताओं से चंदा लिया गया। पूर्व जिलाध्यक्ष अलकेश आर्य के कार्यकाल में बनने शुरू हुआ भाजपा भवन वर्तमान जिला अध्यक्ष जितेन्द्र वर्मा के कार्यकाल में बन कर पार्टी को समर्पित हुआ। 20 मार्च 2008 को भाजपा के राष्टï्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के हस्ते पार्टी को समर्पित इस बहुमंजिला भवन का 13 हजार 775 रूपये वार्षिक किराये से प्राप्त भूखण्ड पर मात्र चार साल के कार्यकाल में 12 छोटी बड़ी दुकानो सहित विशाल आसमान को छुता भवन बनाया। भाजपा ने अपने विजय भवन की सभी बड़ी दुकानो से पाँच तथा छोटी दुकानो से दो लाख रूपये के हिसाब से कुल पचास लाख रूपये की पगड़ी वसूली गई। उक्त सभी दुकाने पगड़ी जमा करने के बाद एक हजार रूपये प्रतिमाह किराये के हिसाब से अनुबंधित हुई। सबसे आश्चर्य की बात है कि पार्टी की उक्त सभी दुकाने पार्टी पदाधिकारियो के सगे संबधी नाते रिश्तेदारो को दी गई । भाजपा के ही नेता इस बात को दबे स्वर में बताते है कि भाजपा के आलीशान विजय भवन के लिए सबसे अधिक चंदा मुलताई विधानसभा क्षेत्र से इंका के विधायक रहे पंवार समाज के नेता एवं वर्तमान भाजपा समर्थित जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक कड़वे द्घारा पच्चीस लाख रूपये दिया गया हालाकि उक्त राशी श्री कड़वे ने अपनी जेब से न देकर अपने कमाऊपूत जिला पंचायत विभाग के उन अधिकारियो एवं कर्मचारियो से एकत्र करवाया जो ग्रामिण क्षेत्रो में तथाकथित विकास कार्य करवाते है। सबसे अधिक रूपैया राष्टरीय राजीव गांधी रोजगार ग्यारंटी शाखा से एकत्र हुआ। आज भले ही अशोक कड़वे इस बात खंडन कर ले लेकिन वे अफसर और बाबू आज भी इस बात का रोना - रोते नही थकते जिन्होने नोडल एजेंसियो से चंदा लिया था जो हजारो में न होकर लाखो में गया। इतना सब कुछ करने के बाद भी जब भाजपा भवन बन कर तैयार हुआ और पार्टी के राष्टïरीय अध्यक्ष उसका लोकापर्ण करने आये तो शिलालेख में राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त जिला पंचायत अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अशोक कड़वे का नाम अंकित नहीं किया गया। सबसे अधिक चंदा देने के चक्कर में भवन के लिए जबरिया चंदा उगाही के लिए बदनाम हुये पंवार समाज के नेता पूर्व विधायक अशोक कड़वे ने इस उपेक्षा का कउ़वा घुट पी लिया लेकिन बहुसंख्यक पंवार समाज अंदर ही अंदर पार्टी के नेताओं को सबक सीखाने में जुट गया। पार्टी भवन के लिए पी.डब्लयू.डी. के वर्मा औरआर.टी..अधिकारी संजय सोनी से लाखो रूपयो का चंदा एकत्र करवाया गया। इस भवन के नाम पर जिले के सभी विभाग प्रमुखो ने हजारो से लेकर लाखो का चंदा पार्टी के पदाधिकारियो को दिया लेकिन हिसाब - किताब किसी के पास नहीं है। भाजपा के विशाल भवन के लिए पूरे जिले भी में जिले के प्रभारी मंत्री के निज सहायक से लेकर विधायको और जिला पंचायत और नगर पंचायतो के निज सहायको तक ने अनाधिकृत वसूली कर डाली जिसे भवन निमार्ण समिति के संयोजक बाबा माकोडे अपने पास जमा होने का खंडन करते है। जबरिया चंदा उगाही की इस कड़ी में बैतूल जिले के सभी भाजपाई नगर पालिकाये एवं नगर पंचायतो के अध्यक्ष - उपाध्यक्ष , जनपद अध्यक्ष - उपाध्यक्ष से पचास से तीस हजार रूपये प्रति व्यक्ति -पद के हिसाब से चंदा का लक्ष्य निधारित किया गया। जिले में सबसे बड़ी नगरपालिका सारनी से एक लाख रूपये का चंदा एकत्र हुआ जिसे नगरपालिका अध्यक्ष एवं जिला भाजपा के नेताओं ने भवन निमार्ण समिति के संयोजक बाबा माकोड़े को बीते वर्ष जनवरी माह में दिया था। ऐसा नही कि केवल नगरीय क्षेत्रो में ही चंदा हुआ जिले की सभी 545 ग्राम पंचायतो के सरपंच एवं सचिवो से पांच - पांच हजार रूपये का अनुदान लिया गया। जिले की 545 ग्राम पंचायतो में सभी ग्राम पंचातयो से उक्त राशी जमा की गई। एक दो कांग्रेसी सरपंच अपवाद बन कर सामने आये तो उन्हे मिलने वाला सरकारी अनुदान में लेट - लतीफी कर उन्हे प्रताडि़त कर उक्त रूपैया वसूला गया। वन विभाग , कृषि विभाग , लो क स्वास्थ यांत्रिकी विभाग , आरईएस सहित जिले के बहुचर्चित कमाऊपूत अधिकारी मेघवाल से भी लाखो रूपैया की अनाधिकृत वसूली भवन के नाम पर की गई। जिस भी अधिकारी ने चंदा नही दिया या तो उसका भाजपाईयो ने मँुह काला कर दिया या फिर उसके मँूह का निवाला छीन लिया। सबसे महत्वपूर्ण जानकारी या तथ्य यह है कि भाजपा भवन के लिए जमा की गई राशी के आय - व्यय का आज दिनाँक तक न तो सार्वजनिक प्रकाशन किया गया और न किसी प्रकार की बैठक लेकर उसकी जानकारी दी गई। भाजपा भवन निमार्ण समिति के संयोजक एवं पूर्व सासंद स्वर्गीय विजय कुमार खण्डेलवाल के करीबी विश्वास पात्र लोगो में से एक रहे जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष बाबा माकोड़े के अनुसार भवन निमार्ण हो गया लेकिन पार्टी का विजय भवन डेढ़ करोड़ में बना है। सबसे आश्चर्य जनक बात यह है कि भवन निमार्ण से जुड़ी एजेन्सी दावा करती है कि वह मात्र 80 लाख रूपये में इससे अच्छा वास्तु शास्त्र के अनुसार उपयुक्त भवन का निमार्ण कर सकती है। भाजपा भवन निमार्ण समिति के संयोजक बाबा माकोडे इसी भवन के निमार्ण की लागत लगभग दुगनी बताने के साथ - साथ पूरे जिले भर में चौतरफा लाखो के बजाय करोड़ो रूपयो की जबरिया चंदा उगाही के बाद भी इन पंक्तियो के लिखे जाने तक 27 लाख रूपये कर्जा देना बाकी बताते है। श्री माकोडे के अनुसार इस बकाया राशी को पार्टी प्रत्याशी एवं सासंद स्वर्गीय विजय कुमार खएडेलवाल के पुत्र हेमंत खण्डेलवाल ने देने का वादा करके उक्त टिकट प्राप्त की है। आम भाजपाई की तरह स्वंय श्री माकोड़े भी इस बात को दबे स्वर में स्वीकार करते है कि वस्तुशास्त्र के अनुसार भी उक्त भवन अशुभ एवं अमंगलकारी है। जानकार लोग बताते है कि जब भवन के पीछे से एक साथ दो रेलगाडिय़ा गुजरती है तो पूरा भवन हिलने लगता है। सर्पीला आकार का आड़ा - तेड़ा भाजपा का भवन वैसे देखा जाये तो भाजपा के लिए अशुभ ही साबित हो रहा है। जिस व्यक्ति ने पूरे देश में सबसे बड़ा जिला मुख्यालय का भाजपा भवन बनवाने का बीड़ा उठाया था उसी भाजपा के नेता की शव यात्रा भी उसी भवन से निकली गई। अपने जीवित समय में भाजपा के सासंद स्वर्गीय विजय कुमार खण्डेलवाल उस भवन का लोकापर्ण नहीं करवा सके जिसके नाम से वे करवाना चाहते थे। स्वंय स्वर्गीय खण्डेलवाल ने भी स्वपन में नहीं सोचा होगा कि उक्त भवन पंडित दीनदयाल उपाध्याय या कुशाभाऊ ठाकरे की स्मृति की बजाय स्वंय उनकी स्मृति में लोकार्पित होगा। । इधर प्रदेश भाजपा कार्यालय के मीडिया प्रभारी गोविंद मालू के अनुसार प्रदेश भाजपा को इन पंक्तियो के लिखे जाने तक भवन निमार्ण की लागत के लिए एकत्र राशी का कोई चार्टर एकाउटेंट से प्रमाणित सीए रिर्पोट या अन्य दस्तावेज प्राप्त नहीं हो सका है जिसे पार्टी जनहित या पार्टी हित में सार्वजनिक प्रकाशित या प्रसारित कर सके। मध्यप्रदेश भाजपा के संगठन मंत्री के अनुसार भाजपा का बैतूल में बना विजय भवन के लिए किसने - कितना रूपैया - पैसा दिया या पार्टी को कहाँ से कितना रूपैया -पैसा मिला उसका हिसाब - किताब उसे देना चाहिये। इधर संघ से जुडे एक जिम्मेदार पदाधिकारी ने इस बात को स्वीकार किया कि भवन के निमार्ण के नाम पर विभिन्न विभागो में काम करने वाले ठेकेदारो - सप्लायरो से अनाधिकृत वूसली की शिकायते उन तक भी पहँुची है लेकिन स्वंय पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष के विश्वास पात्र द्घारा बनवाये जा रहे भाजपा भवन का आज तक कोई लेखा - जोखा किसी के भी सामने पेश न किया जाना कहीं न कहीं पर इस भवन के नाम पर की गई चंदा उगाही के आरोपो की पुष्टिï करता है। भाजपा के भवन निमार्ण के लिए यदि लोगो का योगदान आंके तो पता चलता है कि भवन के लिए आरईएस विभाग की ओर से सीमेंट की सप्लाई , बैतूल जिले की विभिन्न नदियो से पत्थरो एवं बोल्डरो तथा रेता की ढुलाई खनीज विभाग के सौजन्य से की गई। इन सबसे हट कर जिले भर के वैध एवं अवैध ईट भटटïे से ईटा मंगवाई गई। इसी तरह लोहे की छड़े से लेकर एंगल तक लोगो से लिये गये। कुल मिला कर सौजन्य से सब खुश रहते है। बरहाल जो भी हो एक तरफ कांग्रेस का 42 साल का शासन और उसके करोड़ो की भूमि पर खण्डहर बने कार्यालय वही दुसरी ओर मात्र 4 साल में बना भाजपा का भवन जिले के विकास कार्यो की पोल खोल कर रखता है।  
 
 




 

'' लपेट ले बेटा तीन साल बचे है ...... !

हास्य
- परिहास
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लपेट ले बेटा तीन साल बचे है ...... !
व्यंग
पता नहीं इस देश के टी वी चैनल वालो को क्या हो गया है

 
:- रामकिशोर पंवार रोंढावाला.....? हर रोज कोई न कोई अपनी तथाकथित टी आर पी बढ़ाने के लिए नये - नये फण्डे लेकर आ जाते है. अभी हाल ही में एक चैनल वाला किसी देश का कलैण्डर लेकर आ गया और कहने लगा तीन साल बाद पूरी दुनिया समूल नष्ट हो जायेगी........? $खबर चौकान्ने वाली थी क्योकि हीरालाल का बेटा पन्नालाल अभी दो महिने पहले ही तीन लाख देकर कलैक्टर साहब के आफिस का चपरासी बनने वाला था . उस बेचारे को अभी पोस्टींग आर्डर भी नहीं मिला था ऐसे में नगर के धन्ना सेठ से ब्याज पर उठाये रूपयो के ब्याज की वह पहली किस्त भी नहीं चुका पाया था कि टी वी चैनल वाले दुनिया के पलय होने की बात करने लगे. अब बेचारा कलैक्टर का अदना सा चपरासी तीन साल में भला तीन लाख रूपये की रकम कैसे जमा कर पायेगा. कलैक्टर साहब की लोकेशन की खुबर बताने पर कोई भी दस रूपैया से ज्यादा देता नहीं ऐसे में सौ - पचास रूपये की ऊपरी कमाई के बल पर वह कैसे सेठ - साहुकारो का कर्जा चुका पायेगा . उसकी इस मायुसी को उसके परिवार के सभी सदस्य जान चुके थे. आज तक की इस $खबर ने बेचारे हीरालाल- पन्नालाल के पूरे परिवार में मातम का माहौल बना दिया. जबसे दुनिया के समाप्त हो जाने की ख़बर आम लोगो के बीच फैली है लोगो को एक सूत्रिय कार्यक्रम चल रहा है '' लपेट ले बेटा......! जितना लपेट सके .......! तीन साल बचे है........! कहीं ऐसा न होकर आखरी समय कफन भी नहीं मिलेगा लपेटने के लिए....... ! आज तक हो या कल तक या फिर परसो तक सभी के पास हर महिने कोई न कोई ऐसी $खबर रहती है जिससे कि लोगो की पेंट के साथ वह भी फट जाये जिसका हम जिक्र नहीं कर सकते. लोगो को डरा - धमका कर लोगो के बीच इस तरह की ख़बरो को फैलाने वाले को सोचना चाहिये कि उनकी ऐसी खबरो से किसी की जान भी जा सकती है . सच का सामना करने वाले शो के बाद एक महिला की आत्महत्या को प्रचारित एवं प्रसारित करने वाले यह क्यूँ भूल जाते है कि उनकी $खबर भी किसी की जान की दुश्मन बन सकती है. ऐसे में केन्द्र की सरकार को चाहिये कि या तो वे ऐसी ख़बरो पर प्रतिबंध लगायें या फिर ऐसी $खबरो को दिखाने वालो को हिदायत दे कि वह अपने चैनल का प्रसारण रात को करते समय अपने स्क्रीन पर चेतावनी भी दे कि इस चैनल पर प्रसारित होने वाली ख़बरो से आपकी जान भी जा सकती है इसलिए इसे देखने से पहले अपने पूरे परिवार की सहमति का हस्ताक्षर युक्त प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के अलावा अपनी वसीयत के साथ - साथ अपने पूरे परिवार की जवाबदेही से भी मुक्त होने का घोषणा पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा. ऐसा करने के बाद ही वे अपने घर के टी वी चैनल का स्वीच आन करे. कई बार तो टी वी चैनलो की प्रतिस्पर्धा खबरो की जांच किये बिना ही प्रसारित कर देती है. आजतक से लेकर कल तक परसो तक ने ग्राम सेहरा के जिस कुुंजीलाल की करवाचौथ के वृत के दिन मृत्यु का सीधा प्रसारण किया था आज वह कुंजीलाल अभी भी ग्राम सेहरा में ङ्क्षजदा है और टी वी चैनल वालो का उपहास उड़ाता चौसर के पासो को फेक कर लोगो का भविष्य बता रहा है. कई बार तो ऐसी भी खबरे प्रसारित हो जाती है कि महिला समाज शर्मसार हो जाता है. ग्राम चिचोली की एक महिला के एक साथ नौ बच्चो की खबर ने उसे इतना शर्मसार किया कि बेचारी आज भी लोगो के बीच चर्चा का केन्द्र बनी हुई है. कुछ लोगो की या फिर टी वी चैनलो की आदत हो जाती है कि हम सबसे तेज चैनल है इसलिए सबसे पहले आपको $खबर दे रहे है. ऐसे लोगो ने छत्तिसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के ससुर की दुर्घटना में मौत की खबर प्रसारित करवा दी जब तक लोगो हुजूम मुख्यमंत्री के घर पर जमा होता स्वंय मुख्यमंत्री के ससुर को अपने जिंदा होने का अपने दामाद को भरोसा दिलाना पड़ा . बात मुख्यमंत्री के ससुराल की थी तो टी वी चैनल वालो ने बाद में खबर का खण्डन किया लेकिन बेशर्म कुछ ऐसे भी थे जिन्होने झूठी $खबर के प्रसारण के लिए माफी तक नहीं मांगी. कई बार ऐसा होता है कि लोगो को ज्ञान - विज्ञान के रहस्य से रूबरू करवाने के चक्कर में टी वी चैनल संस्कृति अपनी मर्यादा को पार कर जाती है . पिं्रट मीडिया का के्रच आज इसलिए भी बरकरार है क्योकि प्रिंट मीडिया की ऐसी खबरो का पहले तो प्रकाशन नही होता यदि होता भी है तो उसमें कई ऐसे शब्दो का समावेश होता है कि लोगो के विश्वास और अविश्वास का फैसला स्वंय पाठको को करना होता है.अब दुनिया के नष्ट होने की इस तरह कोई पहली बार खबर नहीं चली है. कई लोग तो कुछ धर्मो के कलैण्डरो एवं अपने तथाकथित अधकचरे ज्ञान के चलते कई बार दुनिया को समाप्त हो जाने की भविष्यवाणी कर चुके है. इस पूरी दुनिया में ऐसे करोड़ो बच्चे है उनकी मम्मी गुम हों गई है जो उन्हे अनाथ करके उडन तश्तरी की तरह उडऩ छू हो गई उन मम्मियों को तो आज तक कोई टी वी चैनल वाला खोज नही सका और लेकर नया फण्डा आ गये कि श्री लंका के घने जंगलो में जिसे नाग लोक कहा जाता है वहाँ पर एक पत्थर के नीचे ताबुत में रावण की ममी है......? ख़बरो की प्रतिस्पर्धा में हर किसी को इस बात का ध्यान रखना अनिवार्य होना चाहिये कि उनकी भेजी खबर कहीं किसी का अहित न कर दे . बैतूल जिले के खेडला किले के पास स्थित तालाब के पारसमणी की कहानी कपोल काल्पनिक है लेकिन पारसमणी के चक्कर में कई लोगो की जान पर आ गई इस बात को किसी ने भी आज तक नहीं दिखाया....? सनसनी पैदा कर देना सहज है लेकिन ऐसी सनसनी किताबों एवं सत्यकथाओं के पन्नो तक लिखी सही है.

'' यदि आप सहमत है रावण की शर्तो

हास्य
- परिहास
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यदि आप सहमत है रावण की शर्तो पर उसके मरने के लिए तो भेजियें हमें शीध्र अपने एस एम एस .!
व्यंग
रामलीला के आखरी दिन दशहरा को शहर के रामलीला में मैदान पूरे नौ दिनो से चली आ रही रामलीला का अंतिम पड़ाव था
:- रामकिशोर पंवार रोंढावाला. आज महापंडित दावन सम्राट शिव उपासक राजा रावण का राम से निर्णायक युद्ध था जिसमें राम के हाथो रावण को मरना था. शक्ति स्वरूपा माँ जगदम्बा को बिदाई करने के बाद घर -मोहल्ले में छाई विरानी एवं मायुसी को दूर करने के लिए पूरे शहर के लोगो के अलावा आसपास के ग्रामिणो क्षेत्रो के दर्शको भारी जनसैलाब इस आखरी रामलीला देखने को देखने आया था. महासागर की तरह दूर - दूर तक फैले जनसैलाब के बीच जैसे ही रंगमंच का पर्दा उठा रणभेदी ढोल - नगाड़े की गगनभेदी आवाजो के साथ मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम एवं त्रिलोकी विजेता - महापंडित - असुर सम्राट- लंकाधिपति रावण के बीच युद्ध चल रहा था .लोग आँखो को मलते - मलते थक गये लेकिन आधे घंटे से ज्यादा वक्त बीच गया लेकिन इस महासंग्राम का कोई परिणाम नहीं निकला. राम के जिन अस्त्र - शस्त्र से रावण को आधा घंटा पहले ही मर जाना था वह पिछले पौने घंटे से राम को ताता - थैया करा रहा था और उसके मायुय चेहरे को देख का अटटहस करते हुये उसे चिढ़ा रहा था . जब रावण मरने को तैयार नहीं हुआ तो राम - लक्ष्मण -विभिषण सहित पूरी राम सेना के पसीने छुटने लगे. रामलीला करवाने वाला रामलीला के मंचकला का डायरेक्टर साहब सहित पूरी रामलीला मण्डली हैरान एवं परेशान हो गई. जब रावण मरने को तैयार नहीं हुआ तो जबरन रामलीला के रंगमंच का पर्दा गिराना पड़ा. इधर रामलीला में रावणवध के बाद पूरी रामलीला मण्डली अपने - अपने घर जाने की तैयारी में जुट तो गई थी लेकिन जब उन्हे भी रावण के मरने से पहले अपनी शर्तो को मनवाने की जिद् के आगे सभी के चेहरे फीके पड़ गये थे. रामलीला मंच के सामने जमा भीड़ का सब्र का पारा जब पार होने लगा तो भीड़ ने शोर मचाना शुरू कर दिया. कहीं भीड़ उग्र होकर स्वंय ही रावण का न डार डाले इस डर के मारे पूरी रामलीला मण्डली थर - थर कांप रही थी. रामलीला में रावण की पत्नि मंदोदरी का रोल निभाने वाली ने भी रावण बने कलाकार को बहँुत समझाया लेकिन वह मानने को तैयार नहीं हुआ. आखिर समस्या का निराकरण न होते देख रामलीला के डायरेक्टर ने रामलीला मंच का पर्दा उठा कर उपस्थित भीड़ को समझाने का प्रयास किया कि आज दशहरा के दिन रावण की अचानक तबीयत खराब हो जाने के कारण हम राम - रावण युद्ध का मंचन कल करेगें .......... लेकिन उपस्थित भीड़ मानने को तैयार नहीं थी. भीड़ मे से एक युवक ने जोर से आवाज लगाई '' तेरे बाप का राज है क्या ................? जो तू चाहेगा वहीं होगा........? अगर आज दशहरे के दिन रावण नहीं मरेगा तो तुझे मरना होगा........! भीड़ से आई आवाज के साथ - साथ रामलीला के आखरी दिन राम - रावण का युद्ध देखने आई भीड़ भी आपे के बाहर हो गई . पल भर में मंच पर जूते - चप्पल का ढेर जमा हो गया. किसी ने पास के पुलिस थाने को खबर कर दी तो वहाँ पर मौजूद थानेदार पांडूरंग भी अपने पूरे स्टाफ के साथ अचानक तालिबान के आंतकवादियों की तरह मंच के पीछे से आ धमका. रामलीला के डायरेक्टर की मनोदशा को देख कर पहले तो उसने भी रावण को मरने के लिए मनाया लेकिन जब रावण मानने को तैयार नहीं. जब पुलिस ने रावण को डराया - धमकाया तो वह भी अपने अंदाज में थानेदार से कहने लगा कि ''क्यों मिया अपनी बीबी - बच्चो का परवाह नहीं है क्या..........? मुझे जबरन मरवाने के चक्कर में कहीं नौकरी के साथ - साथ जिला जेल की हवा न खानी पड़ जायें.......? थानेदार की और रावण के बीच की चली नोंकझोक जब रूकने का नाम नहीं ले रही थी . इस बीच किसी ने मुझसे कहा कि '' रामू भैया देखो आखिर माजरा क्या है......! मेरे मना करने के बाद भीड़ के दबाव के आगे मुझे झुकना पड़ा क्योकि मैं जानता था कि यदि मैने भीड़ की बात नहीं मानी तो कहीं ऐसा न हो कि रावण की जगह वह रामू का ही काम तमाम कर डाले . जब मैं अंदर आया तो अंदर का माजरा कुछ अजीबो - गरीब था. अंदर के कमरे में रावण के मरने से पहले ही शोक का मातम छाया साफ महसुस हो रहा था. इस सब हालात को देख कर मैने भी भारत - पाक के बीच में अकसर आ टपकने वाले अमेरिका के अंदाज में बीच में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया. मैने राम - रावण और रामलीला के डायरेक्टर के बीच समझौता करवाने का प्रयाय करते हुये सशर्त संधि प्रस्ताव रखा. मैने रावण से ही सवाल किया कि ''जब तूम इतने सालो से राम के हाथो मरते चले आ रहे हो तब इस बार न मरने की क्या वज़ह है......? आखिर रावण जी आप मरने का क्या लोगो ........? मेरे इस प्रस्ताव पर रावण ने अपनी शर्तो की एक लिस्ट मुझे थमा दी. लिस्ट में लिखी शर्तो को पढऩे के बाद मेरा माथा चकराने लगा. मैने जैसे - तैसे किसी से ग्लुकोस का पानी मंगवाया और पीने के बाद जब मुझे कुछ अच्छा लगा तो मैने रावण से कुछ शर्तो पर समझौता करने की नसीहत दी लेकिन वह नहीं माना. आखिर आपे से बाहर हो रही भीड़ को काबू में लाने के लिए मैने ही रामलीला के डायरेक्टर को सुझाव दिया कि वह रावण का किरदार निभा रहे व्यक्ति की जगह दुसरे को ही रावण के डेटअप में मंच पर राम के हाथो मरवा दे लेकिन वह इस बात पर तैयार नहीं हुआ क्योकि वह जानता था कि '' अनाड़ी का खेलना - खेल का सत्यानाश ........! मैने आखिर में रावण की शर्तो का सार्वजनिक करके जनता से ही एस एम एस और एम एस एस के जरीयें उनकी राय को राम से लेकर रावण तक के मोबाइल पर मंगवा कर सहीं राय देने वालो को राम - रावण के साथ श्री लंका मैच के दौरान लंच का प्रथम पुरूस्कार देने का प्रलोभन दिया . लोग राम - रावण के युद्ध का समापन को छोड़ कर अपने - अपने मोबाइल पर मैसेज भेजने में लग गये . इस बीच मैने रियालिटी शो की तरह उनकी भेजी गई राय पर पुरूस्कार की घोषणा अगले सप्ताह तक टाल कर रामलीला के कलाकारो को नौ - दो - ग्यारह हो जाने की सलाह देकर स्वंय भी मोबाइल के नेटवर्क की तरह गायब हो गया. आज भी रावण की रखी शर्ते मेरे पाले के बाहर है. यदि आपको लगता है कि रावण के द्धारा उनके मरने के लिए रखी गई शर्ते सहीं या गलत है तो कृपा कर इन शर्तो को एक बार फिर से ठीक से जांच - परख कर अपनी राय भेजना न भूले . रावण की पहली शर्त थी कि त्रेतायुग से मुझे बदनाम किया जा रहा है. मेरी अब तक की हुई मानहानी का हर्जाना मेरे स्वीस बैंक के खाते में जमा किया जाये. दुसरी शर्त के अनुसार मेरे घर के भेदी लंका को ढहाने के जिम्मेदार भाई विभिषण आज तक पूरी दुनिया मे आज भी ङ्क्षजदा है जबकि उसे अब तक मर जाना चाहिये .........? तीसरी शर्त यह है कि आजतक न्यूज चैनल पर दिखाई गई श्री लंका के घनाघोर जंगल में पत्थर के नीचे दबी मेरी ममी को पुन: संजीवनी बुटा का लेप करवा कर जीवित किया जायें . चौथी शर्त यह है कि मैं भी शिव का उपासक हँू , और मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम भी अत: हम दोनो शिवभक्तो के बीच संधि करवाई जाये . पाँचवी शर्त यह है कि रावण की श्री लंका का नाम और उनका नाम लंकेश को सम्मान के साथ लिया जाये तथा राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर नोबेल की तरह लंकेश पुरूस्कार शुरू किये जाये. छटवी शर्त के अनुसार श्रीराम सेतू को आवागमण के लिए पुन: शुरू किया जाये तथा मालभाड़े - एवं परिवहन टैक्स की रकम श्रीलंका एवं आर्यदेश के बीच आधी - आधी बांटी जाये. सातवी शर्त के अनुसार मेरे बेटे मेघनाथ का जहाँ तक राजपाट था उसे वापस दिलवाया जाये. आठवी शर्त के अनुसार मुझे वर्तमान की भारत सरकार एवं त्रेतायुग के आर्यदेश में राजकीय अतिथि का दर्जा प्रदान किया जाये. नौवी शर्त के अनुसार श्री लंका और भारत के बीच पासपोर्ट - वीजा प्रणाली पर रोक लगाई जाये . दसवी शर्त के अनुसार भाजपा और संघ के नेताओं को इस बात के लिए मनाया जाये कि जब वे जिन्ना के जिन्न को अपना सकते है तो मुझे भी वे स्वीकार कर गुजरात के अहमदाबाद से श्री लंका तक रावण रथ यात्रा शुरू इसी दशहरे से शुरू करे. यदि मेरी उक्त सभी शर्तो पर आज के आज अमल कर उसे डाँ. श्रीराम लागू की तरह लागू नहीं किया गया तो वह फिर आज के बाद किसी श्री राम - परशुराम - तुकाराम - आशाराम - सीताराम - आज जाय आज मैं किसी के भी हाथो नहीं मरने वाला........? दशहरा के दिन रावण ने अपने मरने से पहले की रखी गई दस शर्तो पर आप सभी अपनी राय भेजे ......? कहीं ऐसा न हो कि आपके मोबाइल में बैलेंस के चक्कर में रावण एक बार फिर मरने के बजाय जिंदा रह जाये.....? आपकी एक भूल भंयकर तबाही - भूकंप - सुनामी का कहर ला ला सकता है......? आपका थोड़ी से लेट - लतीफी कहीं आडवानी जी के वेेटिंग प्रधानमंत्री की तरह रावण के मरने की तीथी को वेटिंग में न डाल दे. अपने - अपने जेब में रखे मोबाइल फोन या पड़ौसी के मोबाइल पर अपनी राय शीघ्र भेजे क्योकि रावण के साथ श्री लंका में लंच का मौका दुबारा नहीं मिलने वाला .