Sunday, December 26, 2010

जहां आज भी लालटेन और चिमनी का दीया ही टीम टीमाता है

जहां आज भी लालटेन और चिमनी का दीया ही टीम टीमाता है
गुलाम भारत की तरह जी रहे आजाद भारत के बिजली विहीन
92 गांव
नारो और भाषणो को देने वाले सपनो के सौदागरो से कोई यह सवाल पुछे कि आखिर क्या वजह है कि आजाद भारत में बैतूल जिले के
जहाँ बिजली का छटका जोर से नहीं लगता
                      रामकिशोर पंवार 92 गांवो में आज भी मिटटी का तेल नसीब नहीं होने के बाद भी गांव के लोग किसी तरह लालटेन और चिमनी का दीया जला कर अपना गुजर बस करने को म$जबुर है। वीबीआईपी जोन में शामिल बैतूल जिले के 92 गांवो में आजादी के 60 दशक पूर्ण हो जाने के बाद भी बिजली का आना - जाना तो दूर उसके दिव्य दर्शन तक नहीं हो सके है। एक आकड़ो की बाजीगरी देखे तो पता चलता है कि वर्ष 2001 की जनसंख्या के अनुसार जिले में 1343 आबाद गांव है जिसमें से मात्र 1251 गांवो में ही लुका छिपी का खेल खेलने वाली बिजली के खम्बे पहँुच सके है। सबसे अधिक 40 कालापानी कहे जाने वाले आदिवासी बाहुल्य गांव आदिवासी विधानसभा क्षेत्र भैसदेही के भीमपुर विकास खण्ड के है। चिचोली विकासखण्ड के 12 गांवो के अलावा बैतूल जिला मुख्यालय के बैतूल 4 तथा घोड़ाडोंगरी विकास खण्ड के 13 गांव शामिल है। शाहपुर विकासखण्ड के 7 आमला विकासखण्ड के 8 भैसदेही विकास खण्ड के 6 तथा आठनेर विकास खण्ड के 3 गांव है। जिले में स्थित सतपुड़ा ताप बिजली घर से लगे कई गांवो में आज भी दिया तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ है। सारनी से लगे कई गांवो को पावर हाऊस की बिजली तो नहीं मिली अलबत्ता उन्हे पावर हाऊस की प्रदुषित जलरीली राख जरूर आसमान से और बहते पानी में पीने को मिल जाती है। सबसे आश्चर्य जनक तथ्य यह है कि जिले के 1108 मजरे - टोलो में से मात्र 644 में बिजली पहँुच सकी है। इन सब से हट कर कोई प्रदेश के ऊर्जा मंत्री से सवाल करे तो उनके पास रटा - रटाया जवाब है कि वन ग्रामो में बिजली पहँुचाने के लिए वन विभाग की अनुमति चाहिए जो उन्हे नहीं मिल रही है। अब कोई ऊर्जा मंत्री से पलटवार कर सवाल करे के महाशय वन विभाग का अनुमति पाने वाला कार्यालय लंदन में या है वाशिंगटन में ..? जहां से अनुमति मिलने में सात समुद्रो को पार करना पड़ रहा है.....? इस पर ऊर्जा मंत्री का भी रटा - रटाया जवाब है कि हमने प्रदेश की तकदीर और तस्वीर बदल दी है अब थोड़ी - बहँुत कमी तो रही जाती है ......? सबका हमने ठेका थोड़े ले रखा है ...? हम तो अभी आये है कांग्रेस तो चालिस साल तक शासन में थी उसने क्या काम किया....? देश के जाने - माने अर्थशास्त्री डाँ मनमोहन सिंह ने अपने प्रधानमंत्री काल में 20 मार्च 2005 में सभी जिला कलैक्टरो से कहा था कि वर्ष 2009 तक देश के हर गांव तक बिजली पहँुचाने के प्रयास हो ताकि भारत का निमार्ण हो सके। कलैक्टरो ने प्रधानमंत्री की हिदायत इस कान से सुनी और दुसरे कान से निकाल दी क्योकि उन्हे भी मालूम है कि मनमोहन सिंह क्या स्वंय महामहिम राष्टï्रपति महोदया भी उन्हे एक ही जिले में वर्ष 2009 तक भारत के नवनिमार्ण करवाने के लिए स्थायी रूप से पदस्थ नहीं रख सकती। ऐसे में सरकारी योजनाये भाषणो और नारो तक सीमट कर रह गई है। देश का पहला गैसी फायर से बिजली उत्पादित करने वाले कसई गांव का गैसी फायर युनिट तक आज बंद पड़ा है। भारत सरकार के अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत मंत्रालय (एम.एम..एस) द्घारा शुरू की गई इस अभिनव योजना को किसी बैरी की नजर लग गई। जिले के इस गांव पर आनन - फानन में बिजली पहँुचाने वाले दुबारा उस चौपाल पर नहीं पहँुचे। सौर ऊर्जा से बिजली जलाने वाले कई गांवो के सौर ऊर्जा उपकरण देख - रेख के अभाव में बंद हो गये। इसी तरह पवन ऊर्जा से बिजली उत्पादन का केन्द्र बना पर्यटक स्थल कुकरू खामला भी सिर्फ शो पीस बना हुआ है। सबसे आश्चर्य जनक बात तो यह है कि 92 गांवो में मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग के मंत्री रहे स्वर्गीय रामजी महाजन का गृह विकास खण्ड प्रभात पटटन एवं सपा के विधायक डाँ सुनीलम का कार्य क्षेत्र एक भी ऐसा गांव नहीं है। -: भीमपुर विकास खण्ड :- कोल्हू ढ़ाना
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, कल्याणपुर , चीवल , रोहणी , केकड्या , कलां , झाकस , रहतिया , बाटला कंला , हरडाडाडू , पाली , हिड़ली , उमर घाट , मेलोर , बीरपुर , बेहड़ा , बाटला खुर्द , डेसली , धावड़ा रैयत , केकड्यिा $खुर्द , कीडिंग रैयत , राबड़ा रैयत , डेगना , पाढऱ , घोड़पढ़ रैयत , बेहड़ा , तकझीरी, पालंगा , हर्रा, झमली डोह , डुलिया, जोगली , पालंगा , पोटला , दाबिदा रैयत , खैरा , उत्तरी , डोडा जाम , बिजोरी , टिगरिया , कारिदा , चिचोली विकास खण्ड :- जाम नगरी
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, टोकरा , पंक्षी , कनारी , देवठान , मोहनपुरा , बरखेड़ा , बाला डोंगरी , खोकरा खेड़ा ,गवांसेन , दारियागंज , जिला मुख्यालय बैतूल विकास खण्ड:- गुवाड़ी , धाराखोह , पहावाड़ी , साजपुर-: घोड़ाडोंगरी विकासखण्ड :- ब्राहमणवाड़ा
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, फोपस , निशाना , डगडगा, सीतल खेड़ा , सुयाघुड़ी , रोझड़ा , भतौड़ी , रामपुर , झंमलीखेड़ा , बीजादेही, जुआंझर, अर्जूनगोंदी , शाहपुर विकासखण्ड :- कांजी तालाब
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, खपरावाड़ी , माटीगढ़ , पाट , सांवरिदा , बोड़ , मेड़ाखेड़ा , आमला विकास खण्ड :- सरण्डई
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, सावरियां , चिचारा , बुण्डाला , खैरी गयावानी रैयत , कुण्डारा , टूटामा , भालदेही ,भैसदेही विकास खण्ड :-कसई , जामूखेड़ा , लोकलदरी , भोण्डयाकुंड , घोगल , बुराहनपुर -: आठनेर विकासखण्ड :-ताकी , भुसकुंम , माटका  

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