Sunday, December 26, 2010

दुराचार के मामले वासना के रावणो को मिली

अधिनियम के तहत स्थापित कल्याण थाना बैतूल में सामुहिक दुराचार की एक घटना एक ही समय और एक समान गवाह तथा तेरह आरोपी के विरूद्ध चार बार अलग अलग एफआईआर कायम की गई। पुलिस थाना अजाक, बैतूल द्वारा अत्याचार कानून के तहत चारों प्रथम सूचना रिर्पोट पर कायम मामलो में विवेचना उपरान्त अभियोजन अधिकारी की अनुमति प्राप्त कर चारों प्रकरण मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी बैतूल के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। विशेष न्यायालय बैतूल में चारों मामलों में विचारण पूर्ण कर अलग अलग फैसला सुनाया गया, जिसमें तेरह आरोपीयों में से तीन को सिद्धदोष ठहरा कर शेष आरोपीगण को दोषमुक्त कर दिया गया। आरोपीगण गिरफ्तारी दिनांक से न्यायालय के फैसले तक कुल एकहजार एकसौपन्द्रह दिन न्यायिक अभिरक्षा में जेल में रहें। लम्बी न्यायिक विचारण प्रक्रिया का सामना करने वाले ज्यादतर आरोपी अनुसूचित वर्ग के थे जो कि पहली बार पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए थें और सभी की उम्र 18 से 21 वर्ष के बीच थी। न्यायालय के फैसले के बाद एक बार फिर से जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। अभियोजन का मामला यह हैं कि पुलिस थाना झल्लार क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम पिपला निवासी नाबालिग अभियोक्त्री अन्य तीन अभियोत्री के साथ दिनांक 20 अक्टूबर 07 की रात गाँव के साहबलाल, पिंटू के साथ ग्राम सेहरा रामलीला देखने जा रही थी, रास्ते में बजरंग मंदिर के पास रात लगभग 1.00बजे इन्हे 8-10 लोग बैठे दिखे। साहबलाल ने टार्च उजाले में देखा तो आरोपी राजेश गाडरी, गोलू रज्जड़, देवीराम और अन्य 8-10 लोग दिखें। इन लोगों ने साहबलाल और पिंटू को घेरकर पकड़ लिया और मारपीट करने लगें। इस बीच आरोपी राजेश गाडरी,गोलूरज्जड़ और देवीराम धोबी ने अन्य सहयोगीयों की मदद से चार अभियोक्त्रीयो को कुछ दूर लेजाकर उसकी इच्छा के विरूद्ध जबरन दुराचार किया और जान से खत्मकर देने की धमकी देकर भाग गया। महिलाओं ने साहबलाल और पिंटू के साथ रात में ही सेहरा गाँव जाकर रामलीला में गाँव वालों को घटना बताई। सभी संजू टेलर केघर रूके और दिन में चारो दुराचार की शिकार महिलाओं ने पुलिस थाना अजाक बैतूल में रिपोर्ट की गई।अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण थाना बैतूल में चारों दुराचार की शिकार महिलाओं ने घटना की जानकरी दी, तो प्रत्येक बालिका महिला की रिर्पोट पर अलग अलग प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखकर अपराध क्रमांक-55/07, 56/07, 57/07, 58/07 अन्तर्गत धारा 341,376,506,323/34 भा00वि0 तथा धारा 3(1)(12)(2)(5),अत्याचार निवारण अधिनियम का अपराध कुल 13 आरोपीयों के विरूद्ध कायम कर लिया गया। पुलिस थाना अजाक द्वारा नामजद आरोपी राजेश गाडरी, देवीराम धोबी, कमलेश गोसाई, पंजू कोरकू, सुरेश गोसाई, बलदेव कोरकू, संजय कोरकू, श्यामलाल कोरकू, कल्लू गोंड, सका रज्जड़, सुखलाल गोंड, गणेश कोरकू को गिरफ्तार कर दिनांक 21 अक्टूबर 07 को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।न्यायालय विशेष न्यायाधीश, बैतूल के समक्ष सभी आरोपीगण ने पुलिस द्वारा आरोपित अपराध से इन्कार करते हुए विचारण की माँग की गई। अभियोजन के द्वारा आरोप सिद्ध करने के लिए अभियोजन साक्षी प्रस्तुत किए गए। न्यायालय के समक्ष चारो अभियोक्त्रीयों ने अभियोजन की कहानी का समर्थन करते हुए राजेश गाडरी, देवीराम धोबी और गोलू रज्जड़ के विरूद्ध कथन करते हुए शेष आरोपीगण को पहचानने से भी इन्कार करते हुए बताया कि आरोपीगण मुॅह पर कपड़ा बाधे हुए थें। अन्य अभियोजन साक्षीगण द्वारा अभियोजन कथा का समर्थन किया गया। इस मामले में वैज्ञानिक परीक्षण से अभियोजन की कथा को समर्थन नहीं करते थें। न्यायालय के समक्ष बचाव पक्ष की ओर से यह तर्क दिया गया कि अभियोक्त्री के वैजाईनल स्मीयिर और उसके अंडर वयिर पर मौजूद पुरूष डी0एन00 प्रोफाईल का मिलान आरोपीगण राजेश, गोलू और देवीराम के डी0एन00 प्रोफाईल से अभियोजन द्वारा प्रस्तुत डी0एन00 परीक्षण रिर्पोट अनुसार मेल नही करते हैं।न्यायालय विशेष न्यायधीश, 0के0 जोशी द्वारा पारित निर्णय में इस बहुचर्चित प्रकरण में तीन आरोपी राजेश, गोलू, देवीराम को अपराध धारा 147,341,323 सहपठित धारा 149,376(2)(जी),506(भाग दो) भा00वि0 में अपराध संदेह से परे प्रमाणित पाकर सिद्धदोष ठहराया गया और दस वर्ष के सश्रम कारावास और 2000 रूपए अर्थदण्ड, अर्थदण्ड अदा न करने पर छ: मास के अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। शेष आरोपीगण के विरूद्ध अपराध सिद्ध नही पाए जाने से दोषमुक्त कर दिया गया। अत्याचार निवारण कानून के तहत किसी भी आरोपी के विरूद्ध अभियोजन आरोप सिद्ध नहीं कर सका। अभियोजन की प्रक्रिया का एकहजार एकसौ पन्द्रह दिनों तक न्यायालय में सामना करने वाले अनुसूचित वर्ग के प्रथम आरोपीयों के भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार में शीघ्र विचारण का अधिकार और जमानत का अधिकार शामिल हैं। दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 309 शीघ्र विचारण के अधिकार से जुड़ी हुई। न्यायालय में विचारण की समय सीमा तय नही होने से शीघ्र विचारण का अधिकार बेमानी साबित होता हैं। कानून की आड़ में न्यायिक प्रक्रिया के नाम पर संवैधानिक अधिकारों का बुरी तरह से हनन तब तक जारी रहेगा जब तक भारत सरकार धारा 309 में संशोधन करके न्यायिक विचारण की समय सीमा नियत नहीं करती? किसी निर्दोष व्यक्ति को अभियोजन की कार्यवाही का समाना करने के लिए बाध्य करना कानून आड़ में अत्याचार हैं और न्यायिक प्रक्रिया के नाम पर सबसे बड़ा अन्याय हैं। न्याय निर्णय में निर्दोष ठहराए गए कुल दस आरोपियों को एकहजार एकसौ पन्द्रह दिनों तक विचारण की कार्यवाही का समाना करने के बाद दोषमुक्ति के अतिरिक्त कौन सा उपचार मिल गया?
इस पूरे मामले की कहानी कुछ इस प्रकार है
जब वासना के रावणो ने दिखाई अपनी नीचता
उस रात सेहरा में नवजीवन दुर्गा मण्डल के तत्वाधान में रामलीला में का आयोजन होने वाला था




. आज लंकेश दशानन रावण के बलशाली पुत्र इन्द्रजीत (मेघनाथ)के हाथो भगवान श्री राम के अनुज लक्ष्मण को शक्ति लगने वाली थी. ग्रामिण इलाको में जहाँ मनोरजंन के कोई साधन नहीं होते वहाँ पर अकसर ग्रामिण लोग आसपास में विशेषकर नवरात्र के समय होने वाली रामलीला देखने को उमड़ पड़ते है . बैतूल जिले में सबसे पुरानी रामलीला मण्डली में सेहरा का भी नाम आता है . वैसे तो रोंढ़ा की रामलीला का कोई जवाब नहीं था लेकिन टी.वी. की रामानंद सागर की रामलीला ने इन रामलीलाओं का मंचन को ही निगल लिया. आज रात में सेहरा में आसपास का पूरा गांव का गांव उमड़ वाला था.रात भर रामलीला देखने के बाद ग्रामिण लोग दुसरे दिन फिर अपने - अपने काम धंधे से लग जाते है.राम लीलायें दुर्गा जी की स्थापना से लेकर उसके उठने तक पूरे दिन नौ राते चलती है . इसलिए कोई भी ग्रामवासी एक भी रात का नागा किये बिना पूरी रामलीला देखने एवं उसका आनंद लेने दौड़े चले आते है . पिपला गांव की सुशीला भी बटाई पर पास के ही गांव से जब शाम को सोयाबीन काट कर अपने घर वापस लौटी तो उसने उसकी माँ से कहा कि '' वह भी अपनी सहेलियो के साथ आज रात को सेहरा रामलीला देखने जायेगी......! '' माँ ने भी अपनी प्यारी लाड़ली बेटी की िजद के आगे घुटने टेक दिये . अकसर गांव के अधिकांश गरीब आदिवासी परिवार में बरसात के बाद सोयाबीन की कटाई में जूट जाते है . कुछ लोग ठेके पर सोसाबीन की कटाई का काम लेकर गांव के लोगो को चालिस से पचास रूपैया रोज के हिसाब से काम पर ले जाते है. इस मंहगाई के दौर में हाथ मजदुरी करके पूरे परिवार का पेट पाल पाना बड़ी टेढ़ी बात है . छोटी सी बेटी की ममतामयी प्रार्थना को नकारना दसिया बाई के बस की बात नही थी इसलिए दसिया बाई ने सुशीला को खाना वगैर खिलाकर उसे गांव से छै किलोमीटर दूर सेहरा गांव में रामलीला देखने जाने के लिये घर से बिदा कर दिया . चारो सहेलियाँ सुबह घर के कपड़े धोने पनघट पर गई थी तभी उनकी सलाह हो गई थी कि वे आज रात को रामलीला देखने जाएगी . पहली बार घर से रामलीला देखने जाने का मन बना चुकी सहेलिया अपने - अपने घर से अपने - अपने माता - पिता की अनुमति मिलने के बाद ही घर से निकली . सुशीला की माँ दसिया बाई को पता था कि उसके गांव पिपला से कई लोग जिसमें महिला - पुरूष - छोटे - छोटे बच्चे यहाँ तक कि बुढ़े - बुर्जुग लोग तक भी शामिल रहते है वे सभी लोग आगे - पीछे झुण्ड के झुण्ड बना कर रात के ग्यारह - बारह बजे के बाद घर से निकल पड़ते है . सेहरा की रामलीला भी रात को बारह बजे से उसके साथ पिपला से सेहरा की दूरी बमुश्कील छै - सात किलोमीटर होने की वजह से गांव के लोगो को रात में भी आने - जाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है. प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत ड्रामर की बनी सड़क पर आना - जाना तो और भी आसान रहता है. 15 साल की सुशीला युवने अपने घर से निकल कर मेथा के घर से उसे साथ लेकर सरिता के घर पहँुची जहाँ पर उसे लता भी मिल गई . चारो लड़कियाँ खाना वगैर से निपट कर वे अपने ही पिपला गांव के दो अपने स्वजाति युवक साहबलाल और पिन्टु के साथ पिपला से रात के ग्यारह - बारह बजे के बीच सेहरा की ओर निकल पड़ी . हाथो में टार्ज लेकर रामलीला देखने निकले सभी छै लोग जब बजरंग मंदिर के पास रपटा से गुजरने लगे तो उन्हे पास की झाडिय़ो में कुछ लहचल होती दिखाई दी तो जैसे ही उस ओर टार्ज का लाईट मारा तो उन्हे झाडिय़ो में कुछ लोगो का झुण्ड दिखाई दिया जिसने अपने ऊपर टार्ज का लाइट पड़ते ही गालिया देनी शुरू कर दी . इस बीच झाडिय़ो से कुछ युवको का झुण्ड अचानक उस टार्ज मारने युवक के ऊपर झुम पड़ा और उसे मारने पीटने लगा तो उन्हे बीच - बचाव करने पहँुची चारो नाबालिग लड़कियो ने जब उन्हे रोकना चाहा तो राजेश पाल नामक युवक ने आगे बढ़ कर मेथा का हाथ पकड़ा और उसे घसीट कर अंधेरे में ले गया . इस बीच देवीराम ने भी राजेश की देखा - देखी सुशीला का हाथ पकड़ा और उसे भी अंधेरे में घसीट कर ले गया. दोनो लड़कियो ने अपने बचाव के लिए काफी चीखी चिल्लाई लेकिन रात के सुनसान अंधेरे में उनकी चीख दब कर रह गई. उन्हे बचाने वाले साहब लाल और पिन्टु को कुछ युवको ने रोक रखा था जिसके चलते वे उन्हे बचाने के लिए जा नहीं सकी. जब राजेश और देवीराम वापस नही लौटे तो गोलू भी कहाँ पीछे रहने वाला था उसने भी सरिता को पकड़ कर उस ज$गह ले गया जहाँ पर वह भी अपनी वासन के रावण की प्यास को तृप्त कर सके . राजेश जैसे ही मेथा के साथ मुँह काला करके लौटा तो उसकी न$जर 14 साल की उस कमसीन लड़की पर पड़ी जो कि सारे नज़ारे को देख कर एक कोने में दुबकी पड़ी थी . अबकी बार राजेश ने लता को अंधेरे में घसीट कर ले गया और उसके साथ भी मँुह काला कर डाला. इस बीच मोटर साइकिल की आवाज को सुन कर सभी लड़के भाग खड़े हुये . लड़को के भाग जाने के बाद चारो युवतियाँ जैसे - तैसे लूटी - पिटी सड़क पर लौटी तब तक उन युवको के झुण्ड ने साहबलाल और पिन्टू को डण्डे से इतना पीटा की वह भी अधमरा होकर वहीं गिर पड़ा . अब रात में वापस इस हालत में वापस पिपला लौट पाना संभव नही था क्योकि उन्हे डर था कि कहीं ए लोग उन्हे जान से न मार डाले इसलिये वे सभी जो कि अपने गांव पिपला से पाँच - छै किलो मीटर दूर आगे आ चुकी थी. अब मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर सेहरा गांव था जहाँ उन्हे रामलीला देखने जाना था. जैसे - तैसे सभी लोग दर्द से कहारते सेहरा गांव में अपने परिचित संजू टेलर के घर पहँुचे जहाँ पर किसी तरह आधी रात काटने के बाद इन सबने अपने गांव को खबर भिजवाई तो पूरा पिपला गांव दौड़ पड़ा. रात की बात बताते - बताते चारो नाबालिग लड़कियो के हाल के बेहाल होता देख सुशीला की माँ दसिया बाई पत्नि रंगलाल जाति गोंड उन्हे अपने साथ बैतूल अजाक थाना बैतूल लेकर पहँुची. नवरात्री का महिना होने की व$जह से पुलिस विभाग भी माता रानी के नौ दिन भक्तिमय हो जाता है. आज घर से पूजा पाठ कर निकले प्रधान आरक्षक क्रंमाक 520 सत्यप्रकाश वाजपेयी जब अजाक थाना बैतूल पहँुचे तो उन्हे लगा कि आज का दिन उनके लिए अच्छा साबित होगा. पूजा - पाठ करने के बाद वाजपेयी ने अपनी सीट संभाली और वे कुछ लिखने लगे इस बीच उन्हे थाने में कुछ लोगो का झुण्ड आता दिखाई दिया. चार युवतियो के साथ दो लड़के तथा एक महिला को करीब आने पर वाजपेयी ने जैसे ही उनके आने का कारण पुछा तो वाजपेयी जी सुन कर दंग रह गये. वे चारो युवतियो के साथ आई उनकी माँ और उन लड़कों को लेकर सीधे अपने आला अफसर अजाक उप पुलिस निरीक्षक श्री व्ही . आर . महाजन के पास पहँुचे . अजाक थाना उप पुलिस अधिक्षक श्री महाजन ने बिना देर किये चारो लड़कियो एवं उसकी माँ दसिया बाई को पुलिस अधिक्षक के समक्ष पेश किया. पुलिस अधिक्षक के निर्देश पर अजाक थाना में फरियादी कु. सुशीला आत्मज रंगलाल युवने निवासी ग्राम पिपला उम्र 14 वर्ष की रिर्पोट पर अपराध क्रंमाक 55 धारा 341 , 376 , 386 , 323 , 34 अनुसूचित जाति - जनजाति प्रताडऩा अधिनियम 3 -1- 12 एवं 3 - 2 - 5 के तहत आरोपी देवीराम आत्मज मोतीराम तायवड़े जाति धोबी उम्र 21 वर्ष , कुमारी सरिता आत्मज जिन्दु उम्र 13 वर्ष निवासी पिपला की रिर्पोट पर अपराध क्रंमाक 56 धारा 341 , 376 , 386 , 323 , 34 अनुसूचित जाति - जन जाति प्रताडऩा अधिनियम 3 -1- 12 एवं 3 - 2 - 5 के तहत आरोपी गोलू आत्मज भीलू जाति रजझड़ उम्र 19 वर्ष , कुमारी लता आत्मज रामचरण गोंड उम्र 14 साल निवासी पिपला एवं कुमारी मेथा आत्मज मनाजी कोरकू निवासी पिपला उम्र 14 साल की रिर्पोट पर अपराध क्रंमाक 57 एवं 58 धारा 341 , 376 , 386 , 323 , 34 अनुसूचित जाति - जन जाति प्रताडऩा अधिनियम 3 -1- 12 एवं 3 - 2 - 5 के तहत आरोपी राजेश पाल जाति धोबी निवासी सेहरा के खिलाफ दर्ज किया . इस कार्य में इन आरोपियो को सहयोग देने वालो बलदेव आत्मज लाला सोलंकी जाति कोरकू उम्र 18 वर्ष निवासी सेहरा , सुरेश आत्मज नागा भारती जाति गोसाई उम्र 25 वर्ष , निवासी सेहरा , कमलेश आत्मज लालगिरी जाति गोस्वामी उम्र 25 वर्ष निवासी सेहरा , पंजू आत्मज फूला जी सोलंकी उम्र 21 वर्ष निवासी सेहरा , संजय आत्मज सुखराम चौहान जाति कोरकू उम्र 19 वर्ष निवासी सेहरा , सुरेश आत्मज गुल्लु जाति रजझड़ उम्र 20 वर्ष निवासी सेहरा , कल्लू आत्मज मुखचंद जाति गोंड उम्र 20 वर्ष निवासी सेहरा , श्याम लाल आत्मज रामसू जाति कोरकू उम्र 17 वर्ष निवासी गाडऱा , थाना झल्लार , सुखलाल आत्मज रम्मू उम्र 17 वर्ष निवासी माडवा , तथा गाडरा निवासी गणेश को भी आरोपी बनाया है. प्रकरण का मुख्य आरोपी राजेश पाल जाति गाडरी निवासी सेहरा के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया. उप पुलिस अधिक्षक श्री व्ही आर महाजन ने इस घटना का मामला दर्ज होते ही एक दल जिसमें प्रधान आरक्षक क्रंमाक 458 सुरेश शुक्ला आरक्षक क्रंमाक 82 भाऊराव , आरक्षक क्रंमाक 495 गोविंद लिखितकर , आरक्षक क्रंमाक 253 गणेश पंवार , आरक्षक क्रंमाक 345 इंदल सिंह को लेकर सीधे नामजद आरोपियो की तलाश में सेहरा की ओर निकल पड़े . उनके साथ बैतूल पुलिस का विशेष गुण्डा स्काट दल भी शामिल था . अजाक थाना में पदस्थ सब इंस्पेक्टर आर. के बिसारे ने सारे मामले की विवेचना का एक चरण अपने हाथो में लिया और उन्होने ने इन चारो नाबालिग लड़कियो का मेडिकल परिक्षण की प्रक्रिया शुरू की . अजाक थाना बैतूल में पदस्थ महिला प्रधान आरक्षक क्रंमाक 257 श्रीमति सुमन मिश्रा महिला आरक्षक क्रंमाक 162 उर्मीला महाले बैतूल एस.डी.एम. के पास इन चारो लड़कियो को लेकर पहँुची जहाँ पर उनसे अनुमति मिलने के बाद वे पीडि़त चारो लड़कियो का मेडिकल परीक्षण के लिए उन्हे बैतूल जिला मुख्य चिकित्सालय की महिला चिकित्सक श्रीमति निशा बड़वे के पास गई . जहाँ पर श्रीमति निशा बड़वे ने उन चारो नाबालिग लड़कियो का मेडिकल परीक्षण किया . जिसमें इस बात की पुष्टिï की गई थी कि चारो लड़कियो का शील भंग हो चुका है . इधर लगातार दो दिन तक उठा - पटक करने के बाद अजाक पुलिस ने इस प्रकरण के सभी आरोपियो को ग्राम सेहरा के निवासियो के सहयोग से अपनी हिरासत में लेकर उन्हे अजाक न्यायालय में पेश किया जहाँ अजाक न्यायालय ने उन्हे जिला जेल बैतूल भिजवा दिया. इस घटना की जानकारी मिलते ही अजाक पुलिस अधिक्षक श्री एम.एल. सोलंकी बैतूल पहँुच कर उन्होने सारे हालातो की जानकारी ली. घटना की जानकारी जिला प्रशासन को मिलने पर जिला प्रशासन की ओर से पीडि़त लड़कियो को दो - दो हजार रूपये की आर्थिक सहायता राशी स्वीकृत कर उन्हे भुगतान प्रदान किया गया.बैतूल आठनेर मार्ग पर सुरगांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर सेहरा गांव जाने के लिए सड़क बनी हुई है. बैतूल से सेहरा की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है. आज से करीब तीन साल पहले सेहरा गांव को कोई नहीं जानता था 20 अक्टुबर 2004 को करवा चौथ के दिन गांव के तथाकथित भविष्य वक्ता कुंजीलाल ने इस गांव को अंतराष्टरीय ख्याति दिलवाई. अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी कर इस 21 वी सदी के नास्त्रेदमस ने इस गांव को देश - विदेश की मीडिया के माध्यम से वो ख्याति दिलवाई कि बच्चा -बच्चा इस गांव को लेकर उत्सुक हो जाता है. आज तक जैसे देश के ख्याति प्राप्त न्यूज चैनल पर दिन भर छाये रहे इस गांव में ठीक तीन साल बाद 20 अक्टुबर को घटित एक शर्मसार घटना ने गांव की प्रतिष्ठïा पर कालिख पोत दी. आज के तथाकथित भविष्य वक्ता नास्त्रेदमस कुंजीलाल के गांव में होने वाली रामलीला को देखने आने वाली चार नाबालिग लड़कियो के साथ गांव के ही युवको द्घारा की गई शर्मनाक ज्यादतियो के बाद तो इस गांव से लोगो को जैसे घृणा हो गई . सेहरा से लगा पिपला गांव है. प्रधानमंत्री सड़क से जुड़ा पिपला गांव की आबादी कुछ ज्यादा नहीं है. आदिवासी समाज बाहुल्य इस गांव में सड़क के किनारे ही प्राथमिक एवं माध्यमिक पाठशाला है. पिछले वर्ष इसी गांव की कक्षा आठवी में पढऩे वाली कुमारी सरिता अपने परिवार में तीसरे नम्बर की है. सबसे बड़ी उसकी बहन प्रमिला की शादी गोहंदा गांव में हो चुकी है . प्रमिला से उससे छोटा उसका भाई सुनील दसवी कक्षा तक पढऩे के बाद आगे पढ़ नही सका वह गांव में लोगो के खेतो में हाथ मजदुरी का काम करता है . सुनील से छोटी सरिता कक्षा आठवी पास होने के बाद गांव से 6 किलोमीटर की दूर पर बसे सेहरा गांव में कक्षा 9 वी पढऩे रोज गांव से आती - जाती है . सरिता से छोटी मीना एवं उससे छोटी शिवानी भी कक्षा 5 वी में पढ़ती है . शिवानी से छोटी रीना कक्षा 2 री में तथा उससे छोटा राहुल गांव की ही आगनवाड़ी में पढऩे जाता है . पीडि़त लड़की सरिता के परिवार में उसकी माँ शीलो बाई के अलावा उसका पिता जिन्दू भी रहता है. टूटे - फूटे मिटटïï्ी के मकान में सरिता के मकान से लगे मकान में उसकी माँ शीलू बाई की ककिया सास जग्गो बाई रहती है. हाथ मजदुरी कर अपने परिवार को पालने वाली जग्गो बाई का पति रामचरण की मौत काफी साल पहले ही हो गई थी. पीडि़त लड़की लता के परिवार में उसकी सबसे बड़ी बहन हेमू के बाद उसका नम्बर आता है. लता से छोटी सोमती , सोमती से छोटा संजू है. तीन बहन एक भाई के परिवार में रहने वाली लता बचपन में ही अपने पिता रामचरण की मौत के कारण स्कूल नहीं जा सकी जबकि उसके घर के सामने ही स्कूल है. इधर एक अन्य पीडि़त लड़की कुमारी सुशीला के परिवार में उसका सबसे बड़ा भाई मुन्ना शादी के बाद से ही गांव में ही अलग मकान बना कर रहता है. मुन्ना से छोटा सम्पत तथा उससे छोटी लता है . लता से छोटी सुशीला है. सुशीला भी स्कूल नहीं जा सकी. सुशीला की माँ दसिया बाई तथा पिता रंगलाल हाथ मजदुरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करे चला आ रहा है. सुशीला भी अपने परिवार के सदस्यो के साथ जहाँ - तहाँ काम करने जाती रहती है. पीडि़त लड़की कुमारी मेथा के परिवार में उसका सबसे बड़ा भाई सुकलु जिसने शादी करने के बाद गाडवा में ही मकान बना कर वह वही पर रहने लगा. सुकलु से छोटा जुगराम की शादी अमौरी में हो चुकी है लेकिन वह पिपला गांव में ही रहता है. जुगराम से छोटा मुन्ना की शादी पिपला गांव में ही हो चुकी है. मुन्ना से छोटी उसकी बहन सुनीता की भी शादी गाड़वा में हो चुकी है. सुनीता से छोटी अनिता की भी शादी गाडवा में होने के बाद उससे छोटी बहन भूरो तथा सबसे छोटी मेथा है. तीन भाई - चार बहनो के परिवार में मेथा की माँ और पिता भी रहते है. मेथा भी स्कूल नही जा सकी जबकि उसका भी मकान गांव में ही स्कूल के पास ही बना है.सेहरा गांव के युवको द्घारा किये गये इस घृणित कार्य की जितनी निंदा की जाये कम होगी. पुलिस ने चार नाबालिग युवतियो के साथ बलात्कार के मामले में तीन आरोपियो को पकड़ा है लेकिन 10 अन्य सहयोगियो को पकडऩे की बात कुछ हजम नही हो रही है. चार लड़कियो के साथ अगर सभी 13 युवक सामुहिक दुष्कृत करते तो एक भी लड़की बच नही पाती लेकिन केवल तीन ही युवको के द्घारा किये गये बलात्कार के मामले में गांव के दस लोगो को जबरन फंसाये जाने की बाते भी सुनाई पडऩे लगी है . गांव के इस बलात्कार कांड में फंसे गरीब - आदिवासी परिवार के लोगो का कहना है कि उन्हे जबरन बलि का बकरा बनाने के पीछे गांव के कुछ पटेलो का नाम सामने आ रहा है जिनके खेतो पर साल भर काम करने या उनके खेतो में काम करने से उनके द्घारा मना किये जाने का गांव के कुछ सम्पन्न किसानो ने उन गरीब - आदिवासी परिवार से बदला लिया. पीडि़त लड़किया भी कहती है कि वे सिर्फ राजेश का नाम सुनने पर उसे जानती है लेकिन देवीराम को अच्छी तरह पहचाने की बात करने वाली सुशीला भी कहती है कि वह उसे अच्छी तरह से जानती है. इस प्रकरण में सबसे दिलचस्प बात यह सामने आई कि देवीराम की गांव में गुण्डागर्दी से गांव के अधिकांश लोग डरे - सहमें थे उन लोगो को यह मामला देवीराम तथा उसकी मित्र मण्डली को सबक सिखाने का अच्छा - खासा अवसर लेकर आया . देवीराम के जितने संगी साथी थे उन्हे भी कुछ सम्पन्न परिवारो एवं देवीराम से पीडि़त लोगो ने इस प्रकरण में जानबुझ कर उलझाने का प्रयास किया. इस प्रकरण में गांव के ही किसी गिरधारी तथा संजू टेलर पर ना- ना प्रकार के गंभीर आरोप लगाने वाले इस प्रकरण में आरोपी बने युवको के परिवारजनो का कहना है कि उन्हे बेव$जह उलझाया गया है. मध्यप्रदेश में सबसे अधिक बलात्कार के मामले दर्ज होने वाले प्रदेश का अव्वल नम्बर का बलात्कारी बैतूल जिले के अकेले अजाक थाने में वर्ष 2004 में मात्र 26 बलात्कार के मामले गैर आदिवासियो के खिलाफ दर्ज हुये है. वर्ष 2005 में 26 की संख्या में बढोत्तरी हुई और यह आकड़ा 39 पर जा पहँुचा. 2006 में संख्या में कमी आई और 39 का आकड़ा 36 पर अटक गया. वर्ष 2007 का अजाक थाने में कोई लेखा - जोखा नही है. इसी थाने में वर्ष 2004 में अपहरण के मात्र 3 मामले गैर आदिवासियो के खिलाफ दर्ज हुये है. वर्ष 2005 में यह आकड़ा शुन्य हो गया . 2006 में मात्र 4 का ही अपहरण होना दर्ज है . वर्ष 2007 में कितने अपहरण के मामले दर्ज हुये है इस बात की जानकारी अजाक थाने में संग्रहित नही की गई है. इसी तरह छेडख़ानी के वर्ष 2004 में मात्र 20 मामले गैर आदिवासियो के खिलाफ दर्ज हुये है. वर्ष 2005 में 28 तथा 2006 में 28 मामले दर्ज हुये है . वर्ष 2007 का अजाक थाने में कोई लेखा - जोखा नही है. बैतूल जिले में अभी कुछ दिनो पूर्व पारधियो द्घारा एक कुन्बी समाज की महिला की हत्या एवं लूट के साथ उसके कथित दुष्कृत का मामला जो कि पोस्टमार्टम रिर्पोट में नही आया को तूल देकर मामले को राजनीतिक रूप देने वाले राजनीतिज्ञो की गैरमौजदूगी क बीच गोण्डवाना मुक्ति सेना के प्रदेश महामंत्री ने इस मामले को लेकर अपने साथियो क साथ अजाक थाना पहँुच कर पीडि़त अपने स्वजाति परिवारो के साथ हुये दुष्कृत क मामले में अगर उचित कार्यवाही न होने पर मामले को लेकर आदिवासी समाज की ओर से जबरदस्त धरना - प्रदर्शन की चेतावनी देकर पीडि़त परिजनो को दिलासा दी. इधर राजनीतिक क्षेत्रो में बैतूल जिले में बढ़ते बलात्कार के मामलो के बाद भी राजनीतिक पहुँच से जमे पुलिस विभाग के आला अफसरो की प्रदेश के मुख्यमंत्री द्घारा परेड़ न लिये जाने से यह अटकले लगाई जा रही है कि मध्यप्रदेश का बलात्कार में प्रदेश में अव्वल नम्बर का बैतूल जिला जिसमें हर माह 16 महिलाओं की अस्मत लूट जा रही हैै. उस जिले की कानून व्यवस्था को लेकर राष्ट्रीय घुमन्तु - अर्ध घुमन्तु जन जाति के अध्यक्ष से लेकर भारतीय प्रेस कौँसिल आफ इंडिया यहाँ तक की मानव अधिकार संगठनो एवं हाईकोर्ट जबलपुर तक ने ऐसी टिप्पणी की लेकिन शिवराज सिंह सुराज मे लूट रही महिलाओं की इज्जते के मामले में बैतूल जिले के आला अफसरो को मिल रह राजनीतिक संरक्षण के कारण रामलीला का रावण वासन का रूप लेकर उन चार अनपढ़ नाबालिग लड़कियो की अस्मत लूट गया . बैतूल जिले में बढ़ते बलात्कार के मामले मे बीते विधानसभा के सत्र मे स्वीकार किया कि प्रदेश में बलात्कार बैतूल जिले में सबसे अधिक है लेकिन पुलिस की गिरती छबि एवं कानून व्यवस्था पर कोई भी लगाम लगाने की स्थिति में हैै. जिला प्रशासन में चार अनपढ आदिवासी समाज की नाबालिग लड़कियो की अस्मत की कीमत दो हजार रूपये आंकते हुये उन्हे दो - दो हजार रूपये की आर्थिक सहायता दी है. बरहाल यह देखना बाकी है कि पारधियो को लेकर एक मंच पर एक हये राजनीतिक दल इस मामले पर अपना क्या रूप जनता को दिखाते हैै. इस शर्मसार हादसे के पीछे की सच्चाई की पड़ताल करने के बाद कुछ नई रोचक जानकारी भी सामने आई . बताया जाता है कि बैतूल जिले के कुछ सम्पन्न किसानो द्घारा साल भर के लिए आदिवासी मजदूरो को ठेके पर काम पर रख लिया जाता है. जबसे प्रधानमंत्री रोजगार ग्यारंटी योजना शुरू हुई है तबसे काम के दाम बढऩे तथा हरदा - होशंगाबाद जिले में सोयाबीन की कटाई , चैत माह में गेहँू की कटाई पर जाने वाले आदिवासी परिवारो को ज्यादा रूपैया मिलने की व$जह से वे गांव के सम्पन्न किसानो के यहाँ पर साल भर के लिए बंधक मजदूर की तरह काम करने के लिए ठेके - बटाई पर न रहने की वज़ह से उनकी खेतीबाड़ी की अर्थ व्यवस्था चौपट होने लगी जिससे क्षुब्ध किसान आदिवासी गरीब तबके से बदला लेने या उन्हे किसी भी मामले में उलझाये रखने के लिए तन - तन - धन से मौके की तलाश में रहते है . बलदेव के भाई के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है. सेहरा का गरीब आदिवासी परिवार का मुखिया अपने छोटे भाई बलदेव को बारह क्लास तक पढ़ाने के लिए सेहरा गांव के ही एक सम्पन्न किसान परिवार एवं किराड़ समाज के एक अधिकारी जो कि भारत सरकार के दुरदर्शन केन्द्र मुलताई मेंं उप यंत्री के यहाँ पर काम करता है. इस व्यक्ति का आरोप है कि उसने गांव के ही किसी पटेल के घर पर इस साल ठेका पर साल भर काम करने के लिए मना कर दिया था तबसे वह उसे डराता - धमकाता था कि पटटïï्े का बंदोबस्त करके रखना वरणा जेल जाओगें .....!. बेचारा गरीब आदिवासी इस बात का अर्थ समझ नही पाया. आज उसका कक्षा बारहवी में पढऩे वाला छोटा भाई जेल में है. उसकी सारी उम्मीद पर पानी फिर जाने के बाद से दुखी इस व्यक्ति की मनोदशा कहीं न कहीं इस बात का संकेत देती है कि बलात्कार करने वाले मात्र तीन ही लोग थे तब पुलिस ने उन 6 आदिवासियो को सहयोगी बना कर कैसे जेल भिजवा दिया जबकि पीडि़त लड़किया स्वंय कहती है कि उन्हे नही मालूम कि उस रात बलदेव था भी या नही ...? बलदेव को नाम से क्या शक्ल से भी चारो लड़किया और दो लड़के न तो जानते है और न उन्हे पहचानते है ऐसे में कहीं न कहीं गांव के दर्जी संजू की मास्टरी एवं गांव के सम्पन्न किसानो की कारस्तानी इस बलात्कार कांड में निर्दोषो को जेल के सखीचो तक खीच लाई . अजाक के उप पुलिस अधिक्षक से लेकर उस विभाग में पदस्थ आरक्षक तक इस मामले में तेरह लोगो की कथित भागेदारी को लेकर आशंकित है लेकिन वे भी कहते है कि पुलिस के सामने जो नाम आये पुलिस ने उन्ही के खिलाफ मामले दर्ज किये. इति,संलग्र छायाचित्र फाइल पिपला के नाम से प्रस्तुति रामकिशोर पंवार











सेहरा का बहुचर्चित सामुहिक  सजा दुराचार के मामले वासना के रावणो को मिली
सचित्र सत्यकथा रामकिशोर पंवार
अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण

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