Sunday, December 26, 2010

मात्र परिक्रमा लगाने से ठीक हो जाता है लकवा

मात्र परिक्रमा लगाने से ठीक हो जाता है लकवा




बैतूल
(रामकिशोर पंवार ) भारत चमत्कारो का देश है तभी तो इस देश को दुनिया सलाम करती है। लोगो को जानकार आश्चर्य होगा कि मुम्बई - दिल्ली - कलकत्ता मद्रास जैसे महानगरो से लकवा जैसी बिमारी का व्यक्ति मृत्यु सैया पर लेटा आता है और मात्र सवा माह तक परहेज कर हर मंगलवार - शनिवार कुल पाँच बार हनुमान जी की सात बार परिक्रमा लगाने भर से वह व्यक्ति जो चल नही सकता , वह जो बोल नही सकता , जिसने जीने की आस छोड़ रखी हो वह यहाँ एक बार आने के बाद ठीक होने लगता है। उसकी जीने की अभिलाषा दिन ब दिन बढ़ती जाती है तथा वह दुसरो के सहारे नहीं बल्कि स्वंय दो कदम नहीं बल्कि दो कोस दूर चलने लगता है। यह कोई फिल्म या किसी काल्पनिक कथा का कोई वृतांत न होकर एक ऐसी सच्चाई है जिसके एक नहीं पचास हजार गवाह है जो कि इस बात को दावे के साथ कहते है कि मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के चिचोली विकास खण्ड मुख्यालय चिचोली से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम मण्डई (फोगरया) में एक ऐसी पवनपुत्र बजरंग बली की प्रतिमा है जिसके चारो ओर लकवा और तड़कपडना जैसी लाइलाज बिमारी के मरीज को प्रति शनिवार या मंगलवार सात बार सवा महिने तक परिक्रमा लगाने तथा छुआछुत से दूर रह कर नियम धरम से रहने से उन दोनो बिमारी से छुटकारा मिलता है। यादव जाति के मुन्नी भगत को सौ साल पहले स्वपन (सपने) में स्वंय केसरी नंदन महाबली रामदुत हनुमान ने कहा था कि ''मैं गांव के समीप एक नाले के पास पत्थरो के ढेर में पड़ा हँू , मुझे बाहर लाकर मेरी पूजा - अर्चना करो और लोगो से कहो कि ऐसे लोगो से मेरी परिक्रमा लगवाये जो कि लकवा जैसी लाइलाज बिमारी के चपेट में दुसरो पर बोझ बने हुये है। मण्डई ग्राम के मुन्नी भगत के परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य एवं वर्तमान में मंदिर के पुजारी रामप्रसाद यादव बताते है कि बीते सौ साल से आज तक इस मंदिर से पचास हजार से अधिक लोगो को लकवा जैसी बिमारी से छुटकारा मिला है। मंदिर पुजारी के अनुसार यहाँ पर आने वाला रोगी को बजरंग बली की प्रतिमा के सामने अपनी बिमारी को बता कर मन्नत मांगनी पड़ती है साथ ही वचन लेना पड़ता है कि वह नियम - धरम से सवा महिने रहेगा तथा सवा महिने बाद यहाँ पर आकर उसे बांधा गया बंधन से मुक्त होकर अपनी इच्छा अनुरूप हनुमान जी को श्रद्घा के दो फूल से लेकर जो भी वह संकल्प लेगा उसका उसे समपर्ण करेगा। इस मंदिर में पेशाब में जलन होने या खून बहने की बिमारी से भी छुटकारा मिलता है। नेशनल हाइवे 69 भोपाल - नागपुर से पाढऱ हास्पीटल के पास से तथा इसी मार्ग पर आठवा मिल से भी मलाजपुर होते हुये फोगरया मण्डई को पहँुचा जा सकता है। इसी तरह बैतूल - हरदा - इन्दौर नेशनल हाइवे पर स्थित चिचोली ग्राम से भी यहाँ पहँुचा जा सकता है। नागपुर - भोपाल रेल मार्ग पर बैतूल रेल्वे स्टेशन से चिचोली बस मार्ग से होते हुये इस ग्राम तक पहँुचा जा सकता है। अपनी तीन पीढिय़ो से पवनपुत्र बजरंग बली की सेवा में जूटे यादव परिवार के सदस्य श्री रामप्रसाद यादव का कहना है कि यहाँ पर आने वाले लकवा पीडि़त व्यक्ति और उसके परिजन को चाहियें कि वह यहाँ आने के बाद मांस - मदिरा - रजस्वला नारी की परछाई / छाया से दूर रहे तथा सवा महिने तक किसी के घर आना - जाना खाना - पीना न करे। श्री यादव के अनुसार जो व्यक्ति सच्चे मन और क्रम तथा वचन से पवनपुत्र हनुमान के प्रति समर्पित रहेगा उसे इस घोर कलयुग के एक मात्र चमत्कारी भगवान के चमत्कारो का प्रतिफल जल्दी मिलेगा।

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